मतलबी तुमसा देखा नहीं कोई

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गुरुदीन वर्मा  (जी.आजाद)

शिक्षक एवं साहित्यकार

बारां (राजस्थान)

 

 

मतलबी तुमसा देखा नहीं कोई

—————————————————————

मतलबी तुमसा देखा नहीं कोई, क्या नाम दे तुमको हम।

मतलब हुआ पूरा भूल गये हमें, निकले बड़े मतलबी तुम।।

मतलबी तुमसा देखा नहीं———————-।।

 

तुम जब भी रूठे हमने मनाया, जिद हमने अपनी यार छोड़कर।

भुल गये हम तेरी खताएँ, तुमको हंसाया हमने प्यार मानकर।।

अपने लहू से सींचा तेरा चमन, समझे नहीं लेकिन हमको तुम।

मतलबी तुमसा देखा नहीं———————-।।

 

तारीफ तेरी करते थे सबसे, सबसे हसीन हम तुम्हें मानकर।

बनाई थी तेरी तस्वीर हमने, मूरत दिल की तुम्हें जानकर।।

तोड़ दिया उसको शीशा समझकर, निकले बड़े अनजान तुम।

मतलबी तुमसा देखा नहीं———————-।।

 

खता हमसे यार यह हो गई, किया नहीं प्यार हमने उसको।

जो दिल हमपे कुर्बान था यार, समझा नहीं सच हमने उसको।।

तुम्हें बहुत इज्जत हमने दी, मगर बेवफ़ा हमसे हो गये तुम।

मतलबी तुमसा देखा नहीं———————-।।

 

हमने किया था तुमपे भरोसा, दी थी खुशी तुम्हें क्यों किसलिए।

बदनामी से तुमको हमने बचाया, अजनबी हो गए तुम किसलिए।।

तुमने किया है खून मेरे दिल का, निकले बड़े बेरहमी तुम।

मतलबी तुमसा देखा नहीं———————।।

 

 

 

 

 

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