लोकसभा चुनाव 2024 का महाभारत :  सीट और समीकरण का सम्पूर्ण एग्जिट पोल 

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पंकज कुमार मिश्रा, अतिथि संपादक नया अध्याय यूपी, पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक जौनपुर 
लोकसभा चुनाव 2024 का महाभारत :  सीट और समीकरण का सम्पूर्ण एग्जिट पोल 
              लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद क्षेत्रवाद जातिगत समीकरण और चुनाव के तमाम समीकरण दोनों बड़े गठबंधन तय करते हुए नजर आ रहे हैं। दोनों ही बड़े गठबंधन अपनी अंतिम शक्ल लेते हुए नजर आ रहे हैं।आया राम गया राम का खेल जारी है जिनके टिकट कट  रहे हैं वह इधर उधर हो रहे हैं। कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी ,आप पार्टी  तृणमूल कांग्रेस, डीएमके झारखंड की मुक्ति मोर्चा कम्युनिस्ट पार्टी के तमाम धडे उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना और शरद पवार वाली  एनसीपी , कुछ क्षेत्रीय दल प्रादेशिक आवश्यकताओं के हिसाब से एक गठबंधन का हिस्सा है। दूसरी तरफ एनडीए  गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी प्रमुख दल है अन्य दलों में जनता दल यूनाइटेड, जनता दल सेक्यूलर अकाली दल, एकनाथ शिंदे की  शिवसेना, अजित पवार की एनसीपी, चिराग पासवान की लोजपा  और टीडीपी प्रमुख है। चार सौ पार के लिए भारतीय जनता पार्टी दक्षिण के किले में सेंधमारी  की कोशिश करनी होगी , लेकिन दक्षिण में भारतीय जनता पार्टी को थोड़ी दिक्कत दिखाई दे रहा है।कर्नाटक में पिछला प्रदर्शन दोहराना लगभग असंभव है और तेलंगाना में भी भारतीय जनता पार्टी बैकफूट पर रहेगी और जिस तरह वहां के क्षेत्रीय दल बीआरएस  ने भी उसके साथ समझौते से इनकार किया है उससे स्पष्ट लगता है दक्षिण इस बार भाजपा के लिए बड़ा सरदर्द साबित होगा।
          तमिलनाडु और केरल में भारतीय जनता पार्टी को उपस्थिति दर्ज करानी है जबकि आंध्र प्रदेश में वह टीडीपी के भरोसे है। भाजपा कों कर्नाटक में लगभग 15 सीटों पर कड़ी टक्कर मिलेगी, वहां कांग्रेस कों डेंट लगता हुआ दिखाई दे रहा है जबकि तेलंगाना में भी उसकी स्थिति पिछली बार की तुलना में आधी रह सकती है यानी सीटों का नुकसान।  तमिलनाडु या केरल में किसी स्टेट में यदि भाजपा दो से पांच  सीट के साथ खाता खोल ले तो उसका बड़ा अर्थ निकल कर आएगा। आंध्र प्रदेश के हालात बहुत पेचीदा है और वहा का मतदाता दक्षिण की हवा में बहता है या एंटी इनकंबेंसी उस पर हावी रहती है यह देखने लायक होगा। पंजाब में आप का खाता तो खुलेगा लेकिन भाजपा और उसकी सहयोगी हावी रहेगी।  नहीं लग रहा हरियाणा में कोई मुश्किल होगी जबकि कांग्रेस कों लगभग 3 सीटों का डेंट निश्चित है क्योंकि किसान आंदोलन की फर्जी पृष्ठभूमि, खट्टर का इस्तीफा और जाट महिलाओं  की नाराजगी इस क्रोनोलॉजी का आधार है। जम्मू एंड कश्मीर में सारी गैर  भाजपेई पार्टी इकट्ठी हो चुकी है कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस और  मुफ्ती मोहम्मद सईद की मुस्लिम लीग  गठबंधन में है यहां सिर्फ जम्मू की सीट छोड़कर भारतीय जनता पार्टी कहीं भी सहज नहीं है लेकिन 370 और तीन तलाक नें काफ़ी राह आसान कर दी है। परंपरागत लद्दाख सीट भी मुसीबत में है ऐसे में पिछली बार प्राप्त करी गई इन 6 सीटों में से 3 सीटों पर बीजेपी प्रभावित होती नजर आ रही है। हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अपेक्षाकृत बेहतर है लेकिन फिर भी माना जा रहा है कांग्रेस एक या दो सीट यहां पर लड़ाई लड़ सकती है, यहां कुल चार सीट है! ऐसे मे सदन नॉर्थ में भारतीय जनता पार्टी लगभग 6 सीटों पर जूझती नजर आ सकती है।
                            पश्चिमी भारत में महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ा प्लस पॉइंट है टूटी हुई एनसीपी और टूटी हुई शिवसेना, गठबंधन के लिए  कोई चमत्कार ही उनके लिए सकारात्मक  परिणाम दे पाए ऐसा लग रहा है। महाराष्ट्र में पूरा चुनाव मारवाड़ी गुजराती बनाम मराठी हो चुका है, वहां एनडीए गठबंधन बहुत अच्छा करता नजर आ रहा तो भी भाजपा कों 32 से 35  सीट आसानी से  मिलती नजर आ रहीं। हिंदी पट्टी में बिहार उत्तर प्रदेश, झारखंड और राजस्थान, भारतीय जनता पार्टी को बड़ा फायदा देंगे क्यूंकि राम मंदिर का सीधा फायदा मिलेगा। बिहार मैं गठबंधन की ही सीटे  कम होगी क्यूंकि  यहां भाजपा की जगह नीतीश ने जो सीट जीती थी चिराग ने जो सीट जीती थी उन पर नुकसान ज्यादा होगा। भारतीय जनता पार्टी पिछली बार की तरह 18 की जगह 20 जीतती नजर आ रहीं। लेकिन बिहार का उलट झारखंड में इंडि गठबंधन  को बड़ा नुकसान होगा जिस तरह हेमंत सोरेन का भ्रष्टाचार एपिसोड हुआ है और आदिवासियों में एक  विरोध की लहर देखी जा रही है ऐसा लगता है झारखंड में भी तीन से चार सीटों का नुकसान भारतीय जनता पार्टी को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। और एनडीए को लगभग 5 सीटों का फायदा  होगा ? राजस्थान में धर्म के ऊपर जिस तरह जातिगत समीकरण बन रहे हैं और  भारतीय जनता पार्टी में  बड़े-बड़े नेता कांग्रेस पार्टी छोड़कर  आ रहे हैं उससे ऐसा लगता है इस बार भी भारतीय जनता पार्टी यहां 25_0 का स्कोर कर सकती है। लेकिन सबसे रोमांचक चुनाव बंगाल का होगा!
42 सीटों वाले इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी ने अप्रत्याशित रूप से 18 सीट जीती थी और इस बार 30 से 35 उसके पाले मे जाते दिख रहें। इस बार रणनीतिक रूप से वाम मोर्चा और कांग्रेस अलग चुनाव लड़ रहे हैं, सन्देशखाली प्रकरण के बाद ऐसे में ममता समर्थित  वोट बटा नजर आ रहा है और ममता ने जिस तरह कांग्रेस और वाम के मजबूत स्थिति वाली जगह पर कमजोर उम्मीदवार उतारे हैं उससे यह धारणा और प्रबल हो रही है। बीजू जनता दल से समझौता न होने के बाद भले उड़ीसा में कांग्रेस को हानि और भारतीय जनता पार्टी को फायदा मिलता नजर आ रहा। आदिवासी वोटो में बदलाव की वजह से तीन से चार सीटों का नुकसान बीजद को होता हुआ स्पष्ट नजर आ रहा है। उड़ीसा में अल्पसंख्यक व इसाई मतदाताओं की भी एक अच्छी तादाद है जो पिछली बार पूरी तरह बीजू जनता दल के साथ थे लेकिन इस बार इन मतों के साथ-साथ आदिवासी मतों के आ जाने से उड़ीसा में भाजपा  तीन से चार सीटों ज्यादा की उम्मीद कर रही है। असम में जिस तरह हेमंत विश्वा शर्मा एक्टिव हुए हैं और जिस तरह वहां हिंदुत्व का समर्थन हुआ है और न्याय यात्रा का  विरोध हो रहा है, और जिस तरह कांग्रेस का मुस्लिम परस्त संगठन से समझौता न कर खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है। उसके अलावा पूर्वोत्तर का अन्य राज्यों में मणिपुर मेघालय अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति पहले से खराब  होगी। त्रिपुरा और नागालैंड में भारतीय जनता पार्टी और उनके साथी गठबंधन बेहतर स्थिति में है।
        सिक्किम में भी कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है ऐसे में पूर्वोत्तर और असम में लगभग 6 से 7 और सीटों पर एनडीए बेहतर करती हुई नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली में भी एक या दो सीटों का डेंट लगना तय माना जा रहा है जिस तरह आप और कांग्रेस का समझौता हुआ है, और चुकी दोनों का कोर वाटर एक जैसा है इसलिए ऐसा लगता है जमीन पर भी ये जनबंधन काम करेगा और ऐसी स्थिति में कम से कम अल्पसंख्यक बहुल चांदनी चौक और पूर्वी दिल्ली में गठबंधन के जीतने की बेहतर संभावना है। आप और कांग्रेस के गठबंधन के बाद गोवा में भी कम से कम एक सीट गठबंधन लड़ता  हुआ नजर आ रहा है।चंडीगढ़ में भी कांग्रेस के लिए बेहतर हालत है पांडिचेरी लक्षद्वीप अंडमान निकोबार द्वीप, दमन दीव यानी केंद्र शासित प्रदेशों में भी कांग्रेस तीन से चार सीटों का फायदा लेती हुई नजर रही है पर इन जगहों पर  भारतीय जनता पार्टी को दो से तीन सीटों का नुकसान हो यह कहना मुश्किल है । गुजरात मध्य प्रदेश और उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के लिए शानदार जमीन तैयार कर रहे हैं। लेकिन गुजरात उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में पहले ही अधिकतम सीट भारतीय जनता पार्टी जीत चुकी है, ऐसे में मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी  कोई  लाभ प्राप्त कर सकती है इसकी कोई संभावना नहीं है। उत्तर प्रदेश में भी मायावती भारतीय जनता पार्टी की बी टीम की तरह काम कर रही है वह कुछ स्वयं के लिए अर्जित कर पाए यह तो मुश्किल लग रहा है लेकिन वहां भारतीय जनता पार्टी अपनी पिछली टैली में दो से तीन सिट  बढ़ा सकती है यानी 70 पार कर  सकती है। फायदा वहा कांग्रेस को भी होगा अमेठी रायबरेली सहारनपुर और अमरोहा इन चार सीटों पर कांग्रेस की स्थिति बेहतर है नुकसान सीधा सपा होगा।अखिलेश की पार्टी भी यादव मुस्लिम बहुत सीटों पर सुरक्षित नजर आ रही है संभल आजमगढ़ मैनपुरी कन्नौज बदायूं मुरादाबाद रामपुर, फिरोजाबाद मेरठ जैसी लगभग एक दर्जन सीटों पर फंसती  नजर आ रही है। इस तरह भाजपा इस बार 350 के पार जाती नजर आ रहीं।
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