
ब्यूरो आगर मालवाः गोवर्धन कुम्भकार।
अत्यधिक गर्मी एवं लू से बचने के लिए नागरिक अपनायें सावधानियाँ।
नागरिक दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें, भले ही प्यास ना लगे फिर भी पानी पीते रहे।
आगर-मालवा : जिले में बढ़ती गर्मी और लू की गंभीरता को देखते हुए जिले के नागरिकों से अपील की है कि सतर्क रहें और लू से बचने के लिये सावधानियॉ अपनाएं। गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी होना आम समस्या है। इससे गंभीर बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं। नागरिक दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें, भले ही प्यास न लगे। यात्रा करते समय पानी अवश्य साथ रखें। ओआरएस, नींबू पानी, लस्सी, छाछ, फलों के रस (थोड़ा नमक मिलाकर) जैसे घरेलू पेय का सेवन लाभकारी होता है। तरबूज, खरबूजा, संतरा, अंगूर, अनानास, खीरा जैसी मौसमी फल-सब्ज़ियों का सेवन शरीर में तरलता बनाए रखने में सहायक होता है।
शरीर को ढँककर रखें
धूप में निकलते समय शरीर को पूरी तरह ढँकना बेहद जरूरी है। हल्के रंग के, सूती और ढीले कपड़े पहनें ताकि गर्मी से राहत मिल सके। सिर को टोपी, छतरी, गमछा या पारंपरिक उपायों से ढकना चाहिए। नंगे पांव धूप में जाना भी हानिकारक हो सकता है, इसलिए चप्पल या जूते पहनना अनिवार्य है।
घर को ठंडा और सुरक्षित बनाएँ
जहाँ तक हो सके, दोपहर के समय घर के अंदर या छांव में रहें। घर में ठंडी हवा का संचार बना रहे, इसके लिए दिन में खिड़कियां और पर्दे बंद रखें और रात में उन्हें खोल दें। बाहर जाना जरूरी हो, तो सुबह या शाम के ठंडे समय में ही जाएं। गर्मी के समय बाहरी गतिविधियों को सीमित करना आवश्यक है। घर में ठंडक बनाए रखने के लिए पर्दे, शटर या सनशेड का उपयोग करें। दिन में निचली मंजिल पर रहना ज्यादा सुरक्षित होता है। शरीर को ठंडा रखने के लिए पंखा, ठंडा पानी, गीले कपड़े, या 20°ब् के पानी में पैरों को डुबोना सहायक होता है।
विशेष ध्यान देने योग्य संवेदनशील वर्ग
छोटे बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, मानसिक या शारीरिक बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति और बाहर कार्य करने वाले लोग अधिक संवेदनशील होते हैं। इन लोगों को अतिरिक्त सुरक्षा और देखरेख की आवश्यकता होती है। ठंडे प्रदेश से गर्म प्रदेश में आने वाले लोगों को अपने शरीर को नई जलवायु के अनुसार ढालने के लिए समय देना चाहिए।
मौसम की जानकारी रखें
रेडियो, टीवी, समाचार पत्रों या भारत मौसम विज्ञान विभाग की वेबसाइट से मौसम की ताजा जानकारी लेते रहें। मौसम की पूर्व चेतावनियों को गंभीरता से लें और उसी अनुसार अपने कार्यक्रम बनाएं।
बचाव के लिए ये गलतियां न करें
दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक बाहर न निकलें। इस समय गर्मी अपने चरम पर होती है। भारी कामकाज या शारीरिक मेहनत भी टालें। नंगे पांव बाहर न निकलें। गर्मी में खाना पकाते समय रसोई में वेंटिलेशन रखें। शराब, चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स, या अधिक मीठे पेयों से बचें, ये शरीर से तरलता कम करते हैं। बासी और भारी प्रोटीन युक्त भोजन न करें। किसी भी परिस्थिति में बच्चों या पालतू जानवरों को बंद वाहन में न छोड़ें।
श्रमिकों और नियोक्ताओं के लिए विशेष निर्देश
काम की जगह पर ठंडा पेयजल उपलब्ध कराना अनिवार्य है और हर 20 मिनट में पानी पीने की सलाह दी जाए। काम को सुबह-शाम के समय शेड्यूल करें। छांव की व्यवस्था करें और कार्य के बीच पर्याप्त आराम दें। नए श्रमिकों के लिए कार्य का समय धीरे-धीरे बढ़ाएं ताकि वे मौसम के अनुसार ढल सकें। श्रमिकों को गर्मी से संबंधित लक्षणों की पहचान और प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दें। ‘बडी सिस्टम’ अपनाएं और प्रशिक्षित फर्स्ट एड कर्मियों की व्यवस्था करें। गर्भवती या बीमार श्रमिकों के लिए डॉक्टर से परामर्श आवश्यक है।
भीड़-भाड़ वाले आयोजनों में सावधानी
खेलों या धार्मिक आयोजनों जैसे भीड़-भाड़ वाले आयोजनों में अत्यधिक गर्मी और पसीने के कारण हीट रिले़टेड इलनेस (एचआरआई) की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे आयोजनों में पर्याप्त पानी, छांव और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था अनिवार्य है। उपस्थित लोगों को लक्षणों की जानकारी होनी चाहिए।
गर्मी से होने वाली बीमारियां और लक्षण
अत्यधिक गर्मी से शरीर का तापमान ऊपर जा सकता है, जिससे हीट स्ट्रेस, हीट रैश, हाथ-पांव सूजना, मांसपेशियों की ऐंठन, चक्कर आना, हीट एक्सहॉशन और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इससे दिल, फेफड़े, किडनी जैसी पुरानी बीमारियां भी बढ़ सकती हैं। लक्षणों में चक्कर, बेहोशी, उल्टी, सिरदर्द, बहुत ज्यादा प्यास, गाढ़ा पेशाब, तेज़ सांस और दिल की धड़कन शामिल हैं। मांसपेशियों की ऐंठन होने पर तुरंत ठंडे स्थान पर आराम करें और ओआरएस पिएं। एक घंटे से अधिक ऐंठन रहने पर डॉक्टर से परामर्श लें।
हीट स्ट्रोकः जानलेवा स्थिति
हीट स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। इसमें शरीर का तापमान 40°ब् से ऊपर हो सकता है और व्यक्ति बेहोश, भ्रमित या चिड़चिड़ा हो सकता है। त्वचा लाल, गर्म और सूखी हो जाती है। बच्चों में संकेतः दूध न पीना, चिड़चिड़ापन, पेशाब कम होना, आंखों का धंसना, सुस्ती या झटका आना, शरीर से खून आना आदि।
तुरंत क्या करें 108 या 102 पर कॉल करें। व्यक्ति को ठंडी जगह ले जाएं। ठंडा पानी लगाएं, पंखा करें। चिकित्सा सहायता आने तक ठंडा करते रहें।