तीन आपराधिक कानूनों में ऐतिहासिक परिवर्तन। 

Spread the love

कुलदीप सेमवाल (एडवोकेट)   देहरादून।

तीन आपराधिक क़ानूनों में ऐतिहासिक परिवर्तन। 

वर्ष 2024 में भारत में क़ानून व्यवस्था को लेकर एक बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिला भारत में 1 /7/2024 को नए कानूनों को मान्यता देते हुए प्रचलन मैं लाया गया है , 1/7/2024 के बाद इन तीनों कानूनों से ही आपराधिक गतिविधियों का निवारण किया जाएगा । कानून व्यवस्था को एक नया रूप देने के लिए क़ानूनीबुद्धिजीवी तथा सरकार द्वारा किये गए तीन आपराधिक कानूनों में परिवर्तन के आधार पर किया गया है पुरानी आपराधिक क़ानून व्यवस्था पिछले 150 सालों से भी अधिक समय से प्रचलन में थी तथा सम्पूर्ण अपराधिक गतिविधियों का निवारण पुराने कानूनों के आधार पर हो रहा था ,किन्तु अपराधिक गतिविधियों में समय के हिसाब से परिवर्तन होने के कारण वर्तमान में इन परिवर्तित अपराधिक गतिविधियों का निवारण नई क़ानून व्यवस्था से ही संभव था इसी संदर्भ में भारत सरकार द्वारा 2019 में वर्तमान आपराधिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए क़ानून व्यवस्था में परिवर्तन का फ़ैसला किया तथा पुराने कानूनों में परिवर्तन करके नये कानूनों को लाने का निर्णय लिया गया।

कानूनो का तुलनात्मक अध्यायन:- 

भारत में 3 नए आपराधिक कानून का तुलनात्मक अध्यायन निम्नवत है दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 तथा भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता2023 किया गयाहै। इन तीनों कानूनों में परिवर्तन का उद्देश्य एक ही है कि समाज में बढ़ रहे अपराधों पर किसी न किसी तरह से अंकुश लगाए जाएं तथा अपराधिक गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों को कानून की मदद से दंडित करना तथा उनको समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करना।

कानून का परिवर्तित स्वरूप:-

यदि बात की जाए इन तीनों परिवर्तित कानूनों के वर्तमान रूपरेखा की तो इसमें सबसे मुख्य परिवर्तन अपराध का वर्गीकरण किया जाना है, दूसरा परिवर्तन अपराधों को कम से कम शब्दों में समझाने के लिए अपराधों की परिभाषा को सरल बनाया गया है,  इन कानूनो मे कुछ नई धाराएँ भी जोड़ी गई है जो वर्तमान स्थिति को देखते हुए परिवर्तित की गई है जैसे कि electronic,digital अभिलेखों को स्पष्टरूप में व्यक्त किया जाना साथ ही electronic एवं digital माध्यम से गवाही एवम्म साक्ष्य प्रस्तुत करने की व्यवस्था भी की गई है ,online या video के माध्यम से भी वाद योजित करने तथा वाद प्रस्तुत की व्यवस्था को भी नए कानूनो में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है,साथ ही इनमें zero fire जैसी व्यवस्था भी की गई है जिसमें कोई भी व्यक्ति कहीं भी अपनी एफ़आइआर दर्ज करवा सकता है।साथ ही इन तीनों नए कानूनों में सजा के प्रावधान में भी परिवर्तित किया गया है ओर लगभग 6 अपराधों के लिए अब सामुदायिक सेवा के रूप में दंडित किए जाने का भी प्रावधान रखा गयाहै यदि किसी व्यक्ति द्वारा अनभिज्ञता के कारण कोई अपराध हो जाता है तो उसे सामुदायिक सेवा के रूप में कोई भी सामाजिक काम करने का आदेश मा० नयायालय द्वारा दिया जा सकता है

समाज में परिवर्तन:-

नए कानूनों के आने से समाज में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है आम जानता इन तीनों क़ानूनो के लागू होने की बाद क़ानून व्यवस्था को एक अलग रूप से दृष्टिगत किए हुए हैं तथा जल्द न्याय पाने की उम्मीद में है क्योंकि इन तीनों कानूनों मे जिस तरह से समय सीमा का निर्धारण किया हुआ है वह वादों को त्वरित गति से निपटारे में काफ़ी अहम भूमिका निभा रहा है ,साथ ही कई वर्षों से लंबित मामलों को जल्दी से निपटारे की ओर हमारी क़ानून व्यवस्था को एक अलग आयाम दिया जा रहा है ।नए कानूनो में पुलिस अधिकारियों को समय पर जाँच पूरी करने और समय सीमा के भीतर जाँच रिपोर्ट नययालय में दाख़िल करने का प्रावधान रखा है ऐसा न करने पर पुलिस अधिकारियों की जवाब देही तय की गई है और पुलिस अधिकारियों को इस संबंध में कोई ठोस कारण बताना होगा कि वह जाँच रिपोर्ट समय पर दाख़िल क्यों नहीं कर पाये ।नये कानूनो के आने से नाययलयो को अपना काम समय पर पूरा करने एवम वादों के जल्द निपटारे में काफ़ी मदद मिल सकती है।।

 निष्कर्ष:-

यदि इन तीनों नए कानूनो के लागू होने के संदर्भ में आम जानता और कानूनी बुद्धिजीवीयो का आँकलन और निष्कर्ष को देखा जाए तो लगभग सभी इन तीनों नए कानूनों के परिवर्तित रूप को देखने की उत्सुकता और त्वरित न्याय पाने की उम्मीद से आम जनमानस इन कानूनो को दृष्टिगत किए हुए है धीरे धीरे जैसे जैसे इन तीनों नए कानूनों के अनुसार कानून व्यवस्था को चलाया जा रहा है और इन कानूनों को प्रचलन में लाया जा रहा है इसके सकारात्मक परिणाम देखने और त्वरित न्याय मिलने की उम्मीद आम जनमानस को कानून प्रणाली से है।

 

 

  • Related Posts

    क्या पुरुष होना गुनाह हैं ?

    Spread the love

    Spread the loveसुमन शर्मा, अध्यापिका  दिल्ली सरकार।   क्या पुरुष होना गुनाह हैं ? अतुल सुभाष, 34 वर्षीय युवा AI इंजीनियर की आत्म हत्या ने समाज के बदलते सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्यों…

    बद से बदतर होता पश्चिम बंगाल, कानून व्यवस्था कटघरे में..!

    Spread the love

    Spread the loveपंकज सीबी मिश्राः प्रभारी सम्पादक जौनपुर ( यूपी ) बद से बदतर होता पश्चिम बंगाल, कानून व्यवस्था कटघरे में..!              उत्तर प्रदेश संवाद…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    भारत में बुजुर्ग आबादी की समस्याएँ।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 6 views
    भारत में बुजुर्ग आबादी की समस्याएँ।

    मानवता और योग को सदैव समर्पित रहे स्वामी सत्यानंद। 

    • By User
    • December 22, 2024
    • 4 views
    मानवता और योग को सदैव समर्पित रहे स्वामी सत्यानंद। 

    जाने सर्दियों में कैसे रखें त्वचा का ध्यान।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 5 views

    ऊखीमठः मदमहेश्वर घाटी के अन्तर्गत भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रासी गाँव धीरे- धीरे पर्यटक गांव के रूप में विकसित होने का रहा है।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 4 views
    ऊखीमठः मदमहेश्वर घाटी के अन्तर्गत भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रासी गाँव धीरे- धीरे पर्यटक गांव के रूप में विकसित होने का रहा है।

    बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी के निर्देश पर संस्कृत विद्यालय कमेड़ा के छात्र – छात्राओं ने श्री बदरीनाथ धाम के शीतकालीन पूजा स्थलों, औली का शैक्षिक भ्रमण किया।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 5 views
    बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी के निर्देश पर संस्कृत विद्यालय कमेड़ा के छात्र – छात्राओं ने श्री बदरीनाथ धाम के शीतकालीन पूजा स्थलों, औली का शैक्षिक भ्रमण किया।

    शतरंज : मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए उपयोगी खेल।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 4 views
    शतरंज : मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए उपयोगी खेल।