बालीवुड की खस्ताहाल दशा क्यों ?

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ब्यूरो छत्तीसगढ़ः सुनील चिंचोलकर।

 

           बालीवुड की खस्ताहाल दशा क्यों ?

 

संजय सोंधी, उपसचिव, भूमि एवं भवन विभाग,

दिल्ली सरकार।

 

वर्ष 2024 अब बीतने को ही है और मूलत: तेलुगु फिल्म पुष्पा की धूम चारों तरफ हैं। गजब की बात ये है कि हिंदी में डब की गई यह तेलुगु फिल्म सबसे ज्यादा कारोबार हिंदी सर्किट में ही कर रही हैं। यह अपने आप में एक प्रमाण है कि हिंदी दर्शक अब उल-जुलुल फिल्मों से अब ऊब चुके है और वे डब की हुई दक्षिण भारतीय फिल्मों को भी हाथों-हाथ ले रहे है। बालीवुड की ये हालत क्यों हुई, ये एक विचारणीय विषय है। बालीवुड का कर्पोरेटाइजेशन मूलभूत रूप से इसके लिए जिम्मेदार हैं। विभिन्न कारपोरेट में बैठे हुए एम.बी.ए. छाप लोग यह निर्णय लेते हैं कि किस विषय पर किस हीरो/हीरोइन को लेकर फ़िल्म बनेगी। इन लोगों को हिंदी दर्शकों की मानसिकता की कोई समझ नहीं हैं। कारपोरेट जगत में बैठे लोग यह समझते हैं कि नामी हीरो/हीरोइन और जबर्दस्त मार्केटिंग के दम पर ही फिल्म की सफलता निश्चित की जा सकती हैं जबकि ऐसा नहीं हैं।

बालीवूड में एक तरीके से रचनात्मकता का अभाव हो गया हैं। कर्णप्रिय गीत-संगीत तो अब विलुप्त प्रजाति बन चुका हैं। सिर्फ एक्शन और वी.एफ.एक्स. पर ही ज्यादा ज़ोर दिया जा रहा हैं। नामी हीरो की फीस बहुत बढ़ गई हैं। वास्तविकता ये हैं कि यह बड़े-बड़े अभिनेता भी फ़िल्म की सफलता की गारंटी नहीं दे सकता।  वर्ष 2024 में रिलीज हुई और फ्लॉप हुई फ़िल्में जैसे सरफिरा, खेल-खेल में, बड़े मियाँ-छोटे मियाँ, कल्कि आदि इसके उदाहरण हैं। इसके विपरीत हाल ही के वर्षों में रिलीज ट्वेल्थ फेल, लापता लेडीज बहुत कम बजट की फ़िल्में होने के बावज़ूद भी बॉक्स ऑफिस पर सफल हो गई। बालीवूड में अब बधाई हो, लंच बॉक्स, भेजा फ्राई और क्वीन जैसी कम बजट वाली लेकिन अच्छी कहानी वाली फिल्मों का नितांत अभाव हैं। किसी भी बड़े हीरो की किसी सार्थक कहानी को लेकर बनाई गई अंतिम सफल फ़िल्म सलमान खान अभिनीत बजरंगी भाईजान (2015) हैं। शाहरुख खान जवान, पठान और डंकी आदि सफल फ़िल्में हो सकती हैं लेकिन इनकी कहानी बिलकुल लचर थी। यह फ़िल्में मार्केटिंग के दम पर बॉक्स ऑफिस के दम पर सफल हुई है। पिछले वर्ष प्रभास की बहुचर्चित और बड़े बजट वाली फिल्म आदिपुरुष बॉक्स ऑफिस पर असफल हो गई थी। रणवीर कपूर की फिल्म एनीमल में जबरन का एक्शन और हिंसा की भरमार हैं। 2018 में रिलीज हुई स्त्री 1 की सफलता का लाभ 2024 में रिलीज़ हुई स्त्री 2 को मिला।

कुल मिलाकर 2024 में रिलीज हुई बालीवूड फिल्मों में भूलभुलैया 3, स्त्री 2, लापता लेडीज, सिंघम अगेन ही सफल फिल्में मानी जा सकती हैं। इस प्रकार बालीवूड की हालत लगातार खस्ता होती जा रही है। अगर बालीबुड ने अपने तौर तरीके नहीं बदले तो वह निश्चित रूप से तबाह हो जाएगा। बालीवूड के कर्ता-धर्ताओं को यह विचार करना चाहिए कि दर्शकों के पास मनोरंजन के कई अन्य विकल्प मौजूद हैं। अब तो फ़िल्में कुछ ही समय के बाद ओ.टी.टी. प्लेटफोर्म पर भी दिखाई जाने लगी हैं। कई अच्छे कार्यक्रम भी अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स आदि ओ.टी.टी. प्लेटफोर्म पर दिखाए जा रहे हैं। जब दर्शक अच्छे-अच्छे कार्यक्रम ओ.टी.टी. प्लेटफोर्म और टी.वी. चैनलों के माध्यम से घर बैठे देख सकते हैं तो वह महंगे टिकट खरीद कर मल्टीप्लेक्स में उबाऊ हिंदी फिल्म देखने क्यों जाएगा ? अब बालीवूड को सिर्फ हीरो-हीरोइन के चेहरे, वी.एफ.एक्स. और मार्केटिंग पर भरोसा न कर ज्यादा रचनाधर्मी और प्रयोगधर्मी बनना होगा। बालीवूड को सार्थक कहानियों पर मनोरंजक फ़िल्में हिंदी दर्शकों को उपलब्ध करानी होगी। अन्यथा इस इंडस्ट्री का भविष्य बहुत ज्यादा उज्जवल नहीं होगा।

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