संतुलित और संयमित दिनचर्चा बचा सकती है हार्ट अटैक से। 

Spread the love

डॉ.क्षिप्रा शर्मा।

 

संतुलित और संयमित दिनचर्चा बचा सकती है हार्ट अटैक से। 

 

पिछले कुछ समय से हार्ट अटैक की कई घटनाएं सुनने में आ रही हैं। ये घटनाएं सर्दियों के मौसम में कुछ अधिक ही होती हैं। बढ़ते हार्ट अटैक के पांच मुख्य कारण हैं, जिससे प्राकृतिक तरीके से बचा जा सकता है।

हार्ट अटैक का पहला मुख्य कारण है फिजीकल वर्क नहीं होना। दरअसल अधिकांश लोग आज के समय में इतने व्यस्त हो गए हैं कि देर से घर आना, फिर भोजन करके सो जाना, सुबह देर से उठना और तैयार होकर वापस काम पर चले जाना। ऐसे में कारोबारियों और नौकरी पेशा दोनों ही प्रकार के लोगों का अधिकांश समय कुर्सी पर बैठे बैठे ही गुजरता है और फिजीकल वर्क हो नहीं पाता इसलिए जरूरी है कि साइकिल चलाएं, पैदल चलें, व्यायाम करें, तो हार्ट अटैक से बचा जा सकता है।

हार्ट अटैक का दूसरा मुख्य कारण है अन हेल्दी डाइट। आजकल लोग बाजारू खाद्य पदार्थ पर अधिक निर्भर हो गए हैं। घर में रोजाना होटलों से पार्सल आने लगे हैं। वह भोजन स्वादिष्ट तो रहता है लेकिन पौष्टिक नहीं। जो खाना खा रहे हैं, उसमें तला भुना अधिक खा रहे हैं। हार्ट अटैक से बचने के लिए फाइबर डाइट लेना चाहिए। हल्का, पचने में आसान और मौसम के अनुरूप आहार सर्वोत्तम होता है। सब्जियों व फलों की भोजन में भरपूर मात्रा होनी चाहिए। इससे खून आसानी से नसों को पहुंचेगा और अटैक नहीं आएगा। अगर हरी व ताजी सब्जी के साथ क्षमता के अनुसार मौसम के अनुकूल ताजे फल व उनका जूस पिया जाए तो भी हार्ट अटैक से बचा जा सकता है।

हार्ट अटैक का तीसरा कारण है स्मोक करना, अधिक शराब पीना एवं दवाओं का गलत इस्तेमाल। युवा पीढ़ी में नशे की लत तेजी से बढ़ रही है। शराब के साथ सिगरेट भी पीते हैं, यह अत्यंत ही घातक है क्योंकि शराब अपने आप में हृदय के लिए नुकसानदेह है, उस पर सिगरेट तो और अधिक जानलेवा है। युवाओं को सिगरेट एवं शराब की जगह प्राणायाम करना चाहिए। यह हृदय को स्वस्थ रखता है। हृदयाघात का चौथा कारण है अधिकतम तनाव। जो बहुत ही खतरनाक होता है, यह हार्ट को नुकसान पहुंचाता है। अक्सर लोग जरा जरा सी बात पर टेंशन पाल लेते हैं, उन्हें अपनी सोच सकारात्मक रखना चाहिए। जब सोच सकारात्मक होगी तो हर समस्या का हल भी आसानी से निकल सकता है। हाइपर टेंशन से बचना चाहिए। इससे छुटकारे के लिए आध्यात्म का इस्तेमाल करें साथ ही त्याग, क्षमा जैसे गुण अपने भीतर लाएं।

हृदयाघात का अंतिम तथा पांचवां कारण है शुगर एवं मोटापा। अगर प्रथम चार कारणों को कंट्रोल करेंगे तो पांचवा कारण अपने आप नियंत्रण में आ जाएगा।

मनुष्य का सच्चा सुख निरोगी काया है। इस सूत्र को अगर ध्यान में रखकर संयमित और संतुलित आहार लेते हुए सात्विक दिनचर्चा का पालन करेंगे तो निस्संदेह हार्टअटैक जैसी जानलेवा गंभीर बीमारी से बचे रहेंगे।  (विभूति फीचर्स)

  • Related Posts

    भारत में बुजुर्ग आबादी की समस्याएँ।

    Spread the love

    Spread the loveडॉo सत्यवान सौरभ कवि, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा।     भारत में बुजुर्ग आबादी की समस्याएँ। भारत अपने जनसांख्यिकीय परिवर्तन…

    मानवता और योग को सदैव समर्पित रहे स्वामी सत्यानंद। 

    Spread the love

    Spread the loveकुमार कृष्णन।   (102वीं जयंती 25 दिसम्बर पर विशेष ) मानवता और योग को सदैव समर्पित रहे स्वामी सत्यानंद।      स्वामी सत्यानंद सरस्वती देश के ऐसे संत…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    भारत में बुजुर्ग आबादी की समस्याएँ।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 6 views
    भारत में बुजुर्ग आबादी की समस्याएँ।

    मानवता और योग को सदैव समर्पित रहे स्वामी सत्यानंद। 

    • By User
    • December 22, 2024
    • 4 views
    मानवता और योग को सदैव समर्पित रहे स्वामी सत्यानंद। 

    जाने सर्दियों में कैसे रखें त्वचा का ध्यान।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 5 views

    ऊखीमठः मदमहेश्वर घाटी के अन्तर्गत भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रासी गाँव धीरे- धीरे पर्यटक गांव के रूप में विकसित होने का रहा है।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 4 views
    ऊखीमठः मदमहेश्वर घाटी के अन्तर्गत भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रासी गाँव धीरे- धीरे पर्यटक गांव के रूप में विकसित होने का रहा है।

    बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी के निर्देश पर संस्कृत विद्यालय कमेड़ा के छात्र – छात्राओं ने श्री बदरीनाथ धाम के शीतकालीन पूजा स्थलों, औली का शैक्षिक भ्रमण किया।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 5 views
    बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी के निर्देश पर संस्कृत विद्यालय कमेड़ा के छात्र – छात्राओं ने श्री बदरीनाथ धाम के शीतकालीन पूजा स्थलों, औली का शैक्षिक भ्रमण किया।

    शतरंज : मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए उपयोगी खेल।

    • By User
    • December 22, 2024
    • 4 views
    शतरंज : मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए उपयोगी खेल।