युवा लेखिका प्रियंका ‘सौरभ’ बनी राजनीति विज्ञान की व्याख्याता।
(हरियाणा के भिवानी जिले के सिवानी उपमंडल के सबसे बड़े गाँव बड़वा की बहुओं के इतिहास में पहली महिला जो राजपत्रित पद पर सीधे पहुँची। शिक्षिका के साथ प्रियंका ‘सौरभ’ एक युवा और प्रेरणादायक लेखिका भी हैं, जिन्होंने न केवल शिक्षा और साहित्यिक क्षेत्र में बल्कि महिला सशक्तिकरण और सामाजिक कार्यों में भी अपनी महत्त्वपूर्ण पहचान बनाई है। प्रियंका अपनी सभी सफलताओं का श्रेय अपने मायके और ससुराल के परिजनों को देती हैं जो हर समय उसके साथ खड़े रहे।)
अगर किसी में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो हर कोई मुकाम हासिल किया जा सकता है चाहे वह शिक्षा हो, खेल हो या कोई अन्य क्षेत्र। ऐसा ही कर दिखाया है ग्रामीण परिवेश में जन्मी प्रियंका ‘सौरभ’ ने जो अब राजनीति विज्ञान के व्याख्याता (राजपत्रित) पद पर अपनी सेवाएँ देंगी। हिसार के गाँव आर्यनगर की बेटी (प्रियंका पुत्री सुमेर सिंह उब्बा) और खंड सिवानी मंडी के गाँव बड़वा की बहू का चयन एचपीएससी द्वारा व्याख्याता के पद पर हुआ है। प्रियंका के राजनीति विज्ञान की व्याख्याता बनने पर दोनों गाँवों में ख़ुशी का माहौल है।
प्रियंका ‘सौरभ’ के पति डॉ. सत्यवान सौरभ ने बताया कि प्रियंका शुरू से ही पढ़ाई में मेहनती थी और शादी के बाद घर पर रहकर दूरस्थ माध्यम से अपनी उच्च शिक्षा ग्रहण करती आ रही है। पारिवारिक व्यस्तताओं के बीच भी प्रियंका ने अपनी सभी परीक्षाएँ अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की। प्रियंका ने पढ़ाई में लगन के साथ मेहनत करते हुए हर बार अपने मुकाम को हासिल किया। इन्होनें हरियाणा की नौकरियों के लिए परीक्षा देते हुए ये सातवीं सफलता हासिल की है। इससे पहले ये ग्रुप डी, कांस्टेबल और सब-इंस्पेक्टर (दो-दो बार) , असिस्टेंट के लिए क्वालीफाई कर चुकी है। वर्तमान में ये हरियाणा सरकार में अच्छे पद पर कार्यरत है। प्रियंका के मायके और ससुराल के लोगों का कहना है कि बेटियाँ किसी से कम नहीं है। हमें बेटियों को आगे लाने के लिए अवसर देने की ज़रूरत है।
शिक्षिका के साथ प्रियंका सौरभ एक युवा और प्रेरणादायक लेखिका भी हैं, जिन्होंने न केवल शिक्षा और साहित्यिक क्षेत्र में बल्कि महिला सशक्तिकरण और सामाजिक कार्यों में भी अपनी महत्त्वपूर्ण पहचान बनाई है। हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में समानांतर लेखन करने वाली प्रियंका ने अब तक पांच पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘दीमक लगे गुलाब’ , ‘निर्भया’ , ‘परियों से संवाद’ , ‘समय की रेत पर’ और ‘फियरलेस’ जैसी कृतियाँ शामिल हैं। इनकी लेखनी समकालीन महिलाओं की समस्याओं, उनके संघर्षों और प्रगति को उजागर करती है।
प्रियंका ने अपनी शिक्षा और लेखन में हमेशा समाज और महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है और उनकी क़लम से आये रोज़ देश-विदेश के 10, 000 से अधिक समाचार पत्रों में संपादकीय प्रकाशित होते हैं। इन्हें विभिन्न पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया है, जैसे ‘आईपीएस मनुमुक्त मानव पुरस्कार’ , ‘नारी रत्न पुरस्कार’, ‘विद्यावाचस्पति’ और ‘सुपर वुमन अवार्ड’ और ‘पॉवरफुल वुमेन ऑफ हरियाणा’। साथ ही, ये अपने यूट्यूब चैनल और शिक्षा मंचों पर महिलाओं और बच्चों को मुफ्त कोचिंग भी प्रदान करती हैं। आज प्रियंका सौरभ एक सशक्त महिला के रूप में समाज में अपनी पहचान बना चुकी हैं और उनकी लेखनी, शिक्षण और समाज सेवा निस्संदेह प्रेरणास्त्रोत है। प्रियंका अपनी सभी सफलताओं का श्रेय अपने मायके और ससुराल के परिजनों को देती हैं जो हर समय उसके साथ खड़े रहे।
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