श्रीराम-आगमन 

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 महेन्द्र मद्धेशिया
छात्र— सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु
पता— सलहन्तपुर, पोस्ट ककरहवॉ, जनपद सिद्धार्थनगर (उत्तर प्रदेश)
कविता
श्रीराम-आगमन 
आइए! मनाते हैं— दीपोत्सव
सैकड़ों वर्षों बाद श्रीराम आ रहे हैं
विध्वंस हुआ – अनगिनत जानें चली गईं
फिर भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी
श्रीराम-मन्दिर के नव-निर्माण की लालसा जीवित रही
सैकड़ों वर्षों का वह स्वप्न
आज साकार हो रहा है
फिर से इस धरा पर
श्रीराम का जय-जयकार हो रहा है
चारों तरफ़ शान्ति-दीप जला दो
यह संदेशा घर-घर पहुंचा दो
आगे-आगे श्रीराम आ रहे हैं
पीछे-पीछे श्रीलक्ष्मण
उन दोनों के मध्य, धीरे-धीरे
देवी सीता के पांव चल रहे हैं।
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