क्या हो भविष्य की निवेश रणनीति ?

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संजय सोंधी, उपसचिव, भूमि एवं भवन विभाग दिल्ली सरकार।

 

क्या हो भविष्य की निवेश रणनीति ?

पिछले 5 वर्षों में भारतीय निवेशकों ने शेयर बाजार में निवेश कर दोनों हाथों से धन बटोरा हैं। चाहे वह बड़ी कंपनी हो, छोटी हो या मंझली हो। यह बात सभी पर लागू होती हैं। भारतीय निवेशकों ने पूँजी बाजार में सीधे और म्यूच्यूअल फंड्स के माध्यम से निवेश कर भरपूर लाभ कमाया हैं।

(देखे तालिका :- )

विभिन्न शेयर सूचकांकों का पिछले 5 वर्ष का CAGR% रिटर्न (प्रतिवर्ष)

1. Nifty -50 14.8 %

2. Nifty Mid Cap -150 28.1 %

3. Nifty Small Cap -250 30.3 %

 

अब प्रश्न ये उठता है कि आगे आने वाला वर्ष रिटर्न्स की दृष्टि से कैसा होगा ? वैसे निवेशकों को सिर्फ एक वर्ष की अवधि के लिए ही निवेश नहीं करना चाहिए बल्कि इक्विटी में निवेश करते समय कम से कम 3 से 5 वर्षों की निवेश अवधि हमेशा दिमाग में रखनी चाहिए।

कोविड महामारी के पश्चात पिछले तीन वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने गज़ब की वृद्धि दर हासिल की। इसका प्रभाव भारतीय कंपनियों के राजस्व और शुद्ध लाभ में अच्छी खासी वृद्धि के रूप में देखने को मिला। इसका परिणाम यह हुआ कि इन कंपनियों के शेयर मूल्य में कई गुना वृद्धि हो गई। अब अर्थव्यवस्था के हालात वैसे नहीं रह गए हैं। अर्थव्यवस्था की विकास दर इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर केवल 5.4% रह गई जबकि मुद्रा स्फीति अभी भी उच्च स्तर पर बनी हुई है विशेषकर खाद्य मुद्रा स्फीति।

इस वर्ष की पहली दो तिमाहियों में अधिकांश भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा हैं। उनके राजस्व में तो वृद्धि हुई है लेकिन प्रॉफिट मार्जिन में कमी आने के कारण शुद्ध लाभ में पर्याप्त वृद्धि नहीं हुई हैं। कच्चे माल की लगत में वृद्धि होने से प्रॉफिट मार्ज़ेन में कमी आई है क्यूकी कंपनी लगत में हुई वृद्धि को पास करने में सफलता मिल रही है! इस कारण बहुत सी कंपनियों के शेयर मूल्य परंपरागत मूल्यांकन पैरामीटर जैसे – P/E के आधार पर अधिक मालूम पड़ते हैं। पिछले 2-3 महीनों में शेयर बाज़ार में गिरावट भी आई है। राष्ट्रीय शेयर बाज़ार का निफ्टी 50 सूचकांक अपने उच्चतम स्तर 26277 से गिरकर अब 23569 से नीचे आ चुका है। हालांकि Mid Cap और Small Cap शेयरों में ज्यादा गिरावट नहीं आई l दिग्गज शेयरों में आई गिरावट का प्रमुख कारण कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन में कमी और विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली है। इसी बीच डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हो चुके है, उनकी नीतियों का पूर्वानुमान करते हुए अमेरिकी डॉलर लगातार मज़बूत हो रहा हैं। यह विदेशी संस्थागत निवेशकों को एमर्जिंग मार्किट से अपने निवेश से बाहर निकाल कर अमेरिका में लगाने के लिए प्रेरित कर रहा हैं।

अब प्रश्न यह उठता है कि भारतीय आम निवेशक इन परिस्थितियों में क्या निवेश रणनीति अपनाए :

मेरे विचार में जो खुदरा निवेशक SIP के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं। उन्हें अपनी SIP लगातार चलाते रहनी चाहिए और संभव हो तो प्रतिवर्ष लगभग 10% की वृद्धि कर देनी चाहिए क्यूकी इतिहासिक रूप से भारतीय शेयर बाज़ार में दीर्घ अवधि में रिटर्न जरुर बनाकर दिए हैं।

खुदरा निवेशकों को ‘डेरीवेटिवस प्रोडक्ट’ जैसे फ्यूचर & ऑप्शन्स में Trade नहीं करना चाहिए क्योंकि ये Hedging प्रोडक्ट है न कि इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट।

खुदरा निवेशकों को बहुत अधिक P/E वाली कंपनियों में निवेश तभी करना चाहिए जब उनके राजस्व और शुद्ध लाभ में अच्छी खासी सतत वृद्धि हो रही हो, अन्यथा बहुत कम लाभ होने की संभावना हैं। इसके अतिरिक्त ROE कम से कम 18% से 20% होना ही चाहिए।

जहाँ तक बैंकिंग और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों का प्रश्न है इन कंपनियों के शेयरों के मूल्यांकन के लिए P/Book Value पैरामीटर का प्रयोग किया जाना उचित होगा। ऊँची विकास दर और कम NPA वाली कंपनियों को अपेक्षाकृत अधिक P/Book Value (4-5) तथा अन्य कंपनियों को अपेक्षाकृत P/Book Value (1-2) पर खरीदना उचित होगा।

निवेशकों को सामान्य तौर पर Top Down रणनीति के बजाय Bottom Up रणनीति अपनानी चाहिए। इसका अर्थ है किसी सेक्टर विशेष की कंपनियों को प्राथमिकता देने के बजाए जो भी कम्पनियाँ अच्छा वित्तीय प्रदर्शन कर रही हो चाहे वे किसी भी सेक्टर से संबंधित हो, को निवेश हेतु वरीयता दी जानी चाहिए। मेरे विचार से वर्तमान में कुछ चुनिंदा क्षेत्रों की Small & Mid Cap कंपनियों में निवेश करना श्रेयस्कर होगा। ये क्षेत्र निम्नलिखित हैं :

1. वेस्ट मैनेजमेंट/ रिसाइकिलिंग/ वाटर ट्रीटमेंट

2. इलेक्ट्रोनिक में मेनूफेकचरिंग सर्विसेज। यथा – ऐसी कंपनियां जो अनुबंध के आधार पर अलग-अलग कंपनियों में मोबाइल, एयरकंडिशन, कूलर रेफ्रीजरेटर व टेलीविजन आदि का निर्माण करती हैं।

3. केपिटल मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर। यथा – स्टॉक एक्सचेंज, डीपोज़िट्री, म्यूच्यूअल फंड योजनाएँ चलाने वाली एसेट मैनेजमेंट कंपनी, रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट व ब्रोकेज़ कंपनी आदि।

4. इलेक्ट्रिक व्हीकल एवं संबंधित क्षेत्र

5. ई कोमर्स/ प्लेटफॉर्म कंपनियां

6. रियल अस्टेट क्षेत्र यथा लग्जरी अपार्टमेन्ट बनाने वाली कंपनियां

7. IT क्षेत्र की स्माल कैप कंपनी यथा GIS, AI/E R&D की सेवा देने वाली कंपनी।

8. फार्मास्युटिकल/ हेल्थ केयर क्षेत्र में स्माल कैप कंपनी यथा API निर्माण, अनुबंध के आधार पर दवा निर्माण, R & D करने वाली कंपनियां, हेल्थ इंशोरेंस व हॉस्पिटल चलाने वाली कंपनियां आदि।

9. ई गवरनेंस क्षेत्र यथा डिजिटल सिग्नेचर, पैन कार्ड जारी करने वाली कंपनी तथा वीज़ा प्रोसेसिंग वाली कंपनियां आदि।

इन क्षेत्रों की कंपनियों में एक साथ निवेश न कर चरणबद्ध तरीकें से निवेश करना सही होगा। जो निवेशक स्वयं कंपनियों की पहचान करने में असमर्थ हैं वे म्यूच्यूअल फंड योजनाओं के माध्यम से शेयर बाज़ार में निवेश कर सकते हैं। जो निवेशक बहुत कम जोखिम लेना चाहते हैं वे Passive mutual fund योजनाओं के द्वारा विभिन्न सूचकांकों में ETF Ya इंडेक्स फंड के द्वारा निवेश कर सकते हैं।

निश्चित रूप से खुदरा निवेशकों को शेयर बाज़ार से मिलने वाले रिटर्न्स के संबंध में अपनी अपेक्षाएँ काफी कम रखनी चाहिए क्योंकि पिछले 5 वर्षों में पहले ही अच्छे खासे रिटर्न्स प्राप्त हो चुके हैं। यहाँ निवेशकों को यह विश्वास भी बनाए रखना चाहिए कि वे इस स्तर पर नया निवेश करके दीर्घावधि में ठीक-ठाक रिटर्न्स प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान दें योग तथा ये है कि अभी भारतीय शेयर बाजार का कुल बाजार पुंजीकरण लगभाग 4:5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है जिसका वर्ष 2030 तक दो होने की संभावना है अथार्थ निवेश आगे आने वाले 5-6 वर्ष मई उचित निवेश विकल्प चुनकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं है

चूँकि अब Sovereign Gold Bond सरकार के द्वारा जारी नहीं किए जा रहे हैं ऐसी स्थिति में ETF के द्वारा सोने और चांदी में निवेश के विषय में विचार किया जा सकता हैं। विशेष कर चांदी में निवेश करने से ठीक-ठाक लाभ प्राप्त कर लेने की आशा हैं क्योंकि सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक व्हीकल क्षेत्र में चांदी का प्रयोग लगातार बढ़ा हैं। इसकी मांग और पूर्ति में असंतुलन रहने की पर्याप्त संभावना हैं और चांदी अपने वर्तमान स्तर से भी भविष्य में अच्छा लाभ प्रदान कर सकती है। सोने में निवेश करने से मुद्रा स्फीति के बराबर रिटर्न मिलने की प्रबल संभावना हैं और संभव हैं कि इससे भी अधिक रिटर्न भविष्य में प्राप्त हो। (इस लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के अपनें व्यक्तिगत विचार हैं। लेखक SEBI द्वारा अधिकृत विश्लेषक या निवेश सलाहकार नहीं हैं। संभावित निवेशक निवेश करने से पहले स्वयं शोध कर लेवे और अपने जोखिम लेने की क्षमता एवं निवेश सलाहकार की सलाह को ध्यान में रख कर निवेश करने का कोई निर्णय लेवे )

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