ब्यूरो ऊखीमठः लक्ष्मण सिंह नेगी।
ऊखीमठः नगर क्षेत्रान्तर्गत ओकारेश्वर वार्ड के चुन्नी गांव मे 35 वर्षो बाद आयोजित पाण्डव नृत्य के 18 वें दिन पंच देव पाण्डवों ने मन्दाकिनी व मधु गंगा के संगम स्थल निवासनी में गंगा स्नान किया। पंच देव पाण्डवों के निवासनी संगम स्थल आगमन पर बेडूला के ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया तथा पाण्डडवों द्वारा गंगा स्नान के तहत अनेक आध्यात्मिक, पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन किया गया। चुन्नी गांव मे 35 वर्षो बाद पाण्डव नृत्य का आयोजन होने से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है तथा विभिन्न गांवों के ग्रामीण, धियाणियां व प्रवासी पाण्डव नृत्य में शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे है। आगामी 14 जनवरी को मकर संक्रान्ति पर्व पर पाण्डवों के अस्त्र – शस्त्र विसर्जित के साथ पाण्डव नृत्य का समापन होगा। शनिवार को चुन्नी गांव में ब्रह्म बेला पर विद्वान आचार्यो द्वारा पंचाग पूजन के तहत तैतीस कोटि देवी – देवताओं के आवाहन करने के साथ भगवती बाराही व पंच देव पाण्डव का भी आवाहन किया गया। ठीक दस बजे पाण्डव चौक में पाण्डव नृत्य का शुभारंभ हुआ तथा नृत्य करने के बाद पंच देव पाण्डव गंगा स्नान हेतु निवासनी संगम स्थल के लिए रवाना हुए तथा मन्दाकिनी व मधु गंगा के संगम स्थल पहुंचने पर पूर्व प्रधान नरोत्तम राणा के नेतृत्व में बेडूला के ग्रामीणों द्वारा पाण्डवों का पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया तथा पंच देव पाण्डवो ने गंगा स्नान के बाद पण्डित यशोधर मैठाणी के निर्देशन कर कई आध्यात्मिक, पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन किया। पाण्डव नृत्य कमेटी अध्यक्ष बचन सिंह रावत ने बताया कि विगत 25 दिसम्बर से पाण्डव नृत्य का श्रीगणेश किया गया था तथा पाण्डव नृत्य में पाण्डवों के अस्त्र- शस्त्र पाण्डव चौक लाने सहित कई परम्पराओं का निर्वहन किया गया। कार्यकारी अध्यक्ष अनूप तिवारी ने बताया कि पंच देव पाण्डवों ने सेमी गांव सहित विभिन्न तोकों का भ्रमण कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। सचिव प्रेम सिंह रावत ने बताया कि रविवार को तीर्थ यात्रा के तहत पंच देव पाण्डव भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर की यात्रा करेंगे। कोषाध्यक्ष कर्मवीर बर्त्वाल ने बताया कि सोमवार को पैय्या डाली कौथिग के साथ मंगोली गांव का नगर भ्रमण किया जायेगा तथा मंगलवार को पाण्डवो के अस्त्र – शस्त्र विसर्जित के साथ पाण्डव नृत्य का समापन होगा। विद्वान आचार्य सन्दीप बेजवाल ने बताया कि केदार घाटी में पाण्डव नृत्य की परम्परा युगों पूर्व की है तथा पाण्डव नृत्य में आत्मीयता झलकती है।