संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर, (मध्यप्रदेश)
सांस तेरी-मेरी चल रही…!
ये तड़प ले आती है मेरे पास,
तू करता प्यार है बिन्दास।
क्या-क्या ख्वाब सजाये तूने,
रह गए कई अरमान अधूरे।
हम तो चले थे आसमाँ छूने,
धरती पे रह गए वो है नमूने।
तड़प ले आती है मेरे पास,
तू करता प्यार है बिन्दास।
कभी छोड़ना मत मेरा हाथ,
चाहत है मेरी रहे तेरा साथ।
न कर कभी ऐसी कोई बात,
हाँ, होती रहे यूँ ही मुलाकात।
तड़प ले आती है मेरे पास,
तू करता प्यार है बिन्दास।
कोई भी देख नहीं पा रहा हैं,
दिल में बन रहीं तेरी तस्वीर।
सांसों में सांस तेरी-मेरी चल रही,
जिन्दगी कब से ऐसी गुजर रहीं।