ब्यूरो रुद्रप्रयागः लक्ष्मण नेगी।
ऊखीमठः कृर्षि विज्ञान केन्द्र जाखधार गुप्तकाशी के तत्वावधान में मदमहेश्वर घाटी की ग्राम पंचायत गैड़ बष्टी में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में ग्रामीणों को मशरूम उत्पादन व प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया जिसमें तीन दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान कृर्षि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने प्रगतिशील काश्तकार बलवीर राणा के बागबानी का भ्रमण कर उनके प्रयासों की भूरि – भूरि प्रशंसा की। मदमहेश्वर घाटी की ग्राम पंचायत गैड़ के राजस्व ग्राम बष्टी में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर काश्तकारों को जानकारी देते हुए कृर्षि विज्ञान केन्द्र जाखधार के प्रभारी अधिकारी डा0 संजय सचान ने कहा कि ढिंगरी अथवा आयस्टर मशरूम का वैज्ञानिक नाम है तथा मशरूम कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, पोटेशियम एव प्रोटीन इत्यादि से परिपूर्ण होने के साथ – साथ रक्तचाप एवं नैफ्रोन संबन्धित बीमारियों को रोकने में समर्थ है। उन्होंने कहा कि मशरूम की अनेक प्रजातियां है जो 12 से 30 डिग्री तापमान में उगाया जा सकता है। उन्होंने काश्तकारों को प्राकृतिक खेती की विस्तृत जानकारी दी। डा0 अंकित डूगरियाल ने बताया कि टिंगरी मशरूम वार्षिक उत्पादन सभी मशरूमो में विश्व में तीसरे स्थान पर है तथा भारत में आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, आसाम व उत्तराखण्ड में टिंगरी मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है। डा0 अनुशूल आर्य ने काश्तकारों को मशरूम उत्पादन की विधि, पोषाहार तैयार करना, गर्म पानी उपचार विधि, रासायनिक विधि, बीजाई करना, फसल प्रबंधन, मशरूम की तुडा़ई करना, भंडारण उपयोग, आमदनी व मशरूम उत्पादन में सावधानियां बरतने सहित अनेक जानकारियां दी। डा0 संगीता ने काश्तकारों को पशुपालन से सम्बन्धित अनेक जानकारियां दी। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के अध्यक्ष मदन भटट् ने कहा कि इस प्रकार कार्यशाला के आयोजन से काश्तकारों को अनेक जानकारियां मिलती है। प्रगतिशील काश्तकार बलवीर राणा ने कृर्षि विज्ञान केन्द्र के सभी वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर विनीता देवी, विजया देवी, उमा देवी, राजेश्वरी देवी, रंजू देवी, नीमा देवी, लक्ष्मी देवी, मंजू देवी, सीता देवी, गौरा देवी, चौदा देवी, शशि देवी, फगण सिंह पंवार, वीरपाल सिंह, सुरेन्द्र सिंह, दीपा देवी, दिलवर सिंह, विमला देवी, निशा देवी, गंगा देवी, पार्वती देवी , नागेन्द्र पंवार, बिछना देवी, सहित तीन दर्जन से अधिक काश्तकार मौजूद थे।