कवि रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
सबको साथ ले कर चलो।
सबको साथ ले कर चलना ही समष्टिवाद है।सबका सहयोग करना ही मनुष्य का पवित्र धर्म है।
अकेले चलने वाला व्यक्तिवादी मनुष्य स्वार्थी होता है।जो सबको अपना साथी जानकर कर्म पथ पर निरन्तर चलता रहता है और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है,वही सच्चे अर्थ में महापुरुषत्व की श्रेणी में आता है।ऐसे लोगों का हृदय विशाल और उन्नतशील मस्तिष्क होता है।समग्र के पावन विकास की धरती पर ही समुन्नत ध्वज लहराता है।सबसे मिलकर सब के विकास की कामना को चरितार्थ करना ही जीवन का चरम ध्येय होना चाहिए।इसी से सुखी समाज का निर्माण होता है।