काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र, वाराणसी, उ. प्र.।
सुन्दरता की कोई सीमा नहीं (Beauty has no Limits)
सुन्दरता सीमित नहीं, यह अनंत भंडार।
भाव अगर हो दिव्य तो, सुन्दर यह संसार।।
अति असीम सुन्दर जगत, देखो इसको घूम।
सुन्दर प्रकृति समुद्र प्रिय, नित नदियों को चूम।।
सुन्दर सोच रखो सदा, करो सत्य से प्यार।
सुन्दरता चारोंतरफ, सारा जग परिवार।।
सारे पावन कर्म शुभ, शुचिता सुन्दर सत्व।
उत्तम मूल्य प्रवृत्ति में, सुन्दरता के तत्व।।
सारे सुन्दर रत्न प्रिय, मानव के उपहार।
कला धर्म साहित्य कृति, मानवता के हार।।
भरापटा कण- कण यहाँ, सुन्दरता से नित्य।
आकर्षण है सब जगह, अति मनमोहक प्रीत्य।।
सुन्दर मन अति मधुर में, सुन्दरता का वास।
चुम्बकीय जग सर्व में, मोहन करे निवास।।