गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां (राजस्थान)
तू सोचती होगी कि————-।
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तू सोचती होगी कि————–,
मैं तुमको भूल गया हूँ ,
नहीं सोचता हूँ अब तुम्हारे बारे में,
अब मैं तुमसे इतना प्यार नहीं करता,
जितना कि मैं कल तक था तुमपे कुर्बान।
तू सोचती होगी कि—————-,
मैंने अपना आशियाना बना लिया है,
तुमको छोड़कर मैंने अब,
अपना नया साथी बना लिया है,
इसलिए अब नहीं आती तुम्हारी याद।
तू सोचती होगी कि—————,
क्या मुझको नहीं रुलाती है,
तुमसे वो मुलाकातें,
कि रहता था मैं बहुत बेचैन,
कल तुमसे मिलने को,
क्या मुझको नहीं तड़पाती,
तुम्हारी वह बाहें और मोहब्बत।
तू सोचती होगी कि———–,
क्या मैं जिंदा हूँ अभी तक,
जबकि बीत चुके हैं,
कई वर्ष हमको जुदा हुए,
क्योंकि नववर्ष जो आ चुका है।
तू सोचती होगी कि—————-।