गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां (राजस्थान)
तुम्हें झापट लगाऊँगी
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(शेर)- हमारे हाथों की चूड़ियों को, हमारी कायरता मत समझना।
हम नारी जाति की खामोशी को, हमारी पराजय मत समझना।।
हमको भी आता है अच्छी तरह सबक सिखाना, मनचलों को।
हमारी शर्म और शराफत को तुम, हमारी कमजोरी मत समझना।।
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मुझको छेड़ा तूने तो, तुम्हें झापट लगाऊँगी।
तेरी आशिकी का भूत मैं, झट से भगाऊँगी।।
मैं हूँ नारी हिंदुस्तानी, तुम जैसे से नहीं डरती।
मैं बीच बाजार रोड़ पर, तेरा बैंड बजाऊँगी।।
मुझको छेड़ा तूने तो————————-।।
तुमने क्या सोचा तेरा मैं, कुछ नहीं कर सकती।
तुम जैसे बदमाश का कुछ, बिगाड़ नहीं सकती।।
गलतफहमी में नहीं रहना, नहीं हाथ उठाऊँगी।
मैं बीच बाजार रोड़ पर, तेरा बैंड बजाऊँगी।।
मुझको छेड़ा तूने तो———————–।।
किरण बेदी-इंदिरा की जैसी, निडर बहादुर मैं हूँ।
झांसी रानी और दुर्गा जैसी, शमसीर जंग की मैं हूँ।।
सोच समझकर टकराना, तेरे छक्के छुड़ाऊंगी।
मैं बीच बाजार रोड़ पर, तेरा बैंड बजाऊँगी।।
मुझको छेड़ा तूने तो———————–।।
चल फूट यहाँ से झट से, इस धरती पे तू पाप है।
हम नारी की इज्जत से, खेलना वाला तू सांप है।।
नहीं नजर डालना मुझपे, ऐसा नाच नचाऊंगी।
मैं बीच बाजार रोड़ पर, तेरा बैंड बजाऊँगी।।
मुझको छेड़ा तूने तो———————–।।