डाॅ. फौजिया नसीम शाद।
जीवन में मौन कितना जरूरी।
मौन जिसका अर्थ होता है चुप रहना, ना बोलना, खामोश रहना, वाणी का प्रयोग न करना। यही मौन कहलाता है। मौन को हमारे जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यही कारण है कि मौन एक प्रकार की शक्ति का प्रतीक है। वहीं कई बार ये दुर्बलता का भी प्रतीक माना जाता है । जहां पर बोलना ज़रूरी हो वहां पर मौन धारण कर लेना कायरता के भाव को प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि लगभग सभी धर्मो में मौन को महत्व दिया जाता है। इस्लाम में तो मौन रहने को भी इबादत का दर्जा दिया गया है। वास्तव में मौन हमारे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ही उपयोगी नहीं है बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यधिक लाभदायक है ।
मौन से होने वाले नुकसान
● मौन भ्रम की स्थिति को उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
● शब्दों की महत्ता को मौन स्पष्ट नहीं कर पाता है।
● व्यापार में मौन से हानि की संभावना अधिक होती है।
*मौन से होने वाले लाभ*
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● मौन आपकी बुद्धिमता को अभिव्यक्त करता है।
● मौन कुछ न कह कर भी बहुत कुछ कहने की क्षमता रखता है।
● अधिक बोलना जहां अशांति को जन्म देता है वहीं मौन शांति को स्थापित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
● मौन से हमारे विचारों में एकाग्रता आती है।
● मौन कभी-कभी बड़ी समस्याओं को उत्पन्न होने से बचा लेता है,गृह कलेश में मौन सुख- शन्ति का प्रतीक होता है।
● मौन आपकी अनियंत्रित भाषा शैली पर नियंत्रण लगाने में सहायक होता है।
● मौन गलत बात पर अपनी अनियंत्रित वाणी पर लगाम लगाने में सहायक होता है।
● मौन गलत बात पर अपनी असहमति व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम होता है ।
● मौन अपने अंदर बहुत सी उलझनों को समेटने की क्षमता रखता है जो हमारे अंदर सहनशीलता को जन्म देता है।
● मौन कभी किसी के लिहाज़ के कारण होता है,कभी आदर के कारण और कभी कमज़ोरी के कारण भी होता है ।
● मौन आपको आपके अंदर की आवाज़ को सुनने में सहायता करता है।
●मौन आपके विचार को श्रेष्ठ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
● मौन तनाव से मुक्त करता है ।
● मौन मन की शक्ति को बढ़ाता है ।
● मौन आपकी एकाग्रता शक्ति बढ़ाने में भी सहायक होता है।(विभूति फीचर्स)