गुरुदीन वर्मा जी.(आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां( राजस्थान)
तू ही बता कोई तरीका
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तू ही बता कोई तरीका, मुझको तो आता नहीं।
मेरे जेहन से तेरा ख्याल, मेरे यार जाता नहीं।।
कैसे भुलाऊँ मैं तुमको, कैसे तुमसे नफरत करूँ।
क्या करूँ मैं मेरे यार, तुमको भूल पाता नहीं।।
तू ही बता कोई तरीका————————-।।
जबकि मुझसे कुछ भी प्यार, यार तुमको नहीं।
मेरे लिए कुछ भी हमदर्दी, मेरे यार तुमको नहीं।।
फिर भी होता हूँ मैं दुःखी, उदास तुमको देखकर।
तुमसे मिलने को अपने को, मैं रोक पाता नहीं।।
तू ही बता कोई तरीका———————-।।
यह तो मालूम नहीं मुझे भी, क्यों चाहता हूँ तुमको।
तुमसे कोई रिश्ता नहीं, क्यों प्यार करता हूँ तुमको।।
ऐसा भी नहीं कि, तुमसे ज्यादा कोई हसीन नहीं।
लेकिन ख्वाब क्यों और का, मुझको आता नहीं।।
तू ही बता कोई तरीका———————–।।
कभी सोचता हूँ यह भी, तेरा शहर मैं छोड़ दूँ ।
कदम तेरी दर पे रखूँ नहीं, तेरा दिल मैं तोड़ दूँ।।
तुमको मुझसे नहीं मतलब, क्यों तेरी इज्जत करूँ।
मगर बदनामी- नाखुशी तेरी, मैं देख पाता नहीं।।
तू ही बता कोई तरीका————————-।।