गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
शिक्षक एवं साहित्यकार
बारां (राजस्थान)
क्योंकि तुमसे प्यार है मुझको
——————————————————————–
यह सब इसीलिए किया, क्योंकि तुमसे प्यार है मुझको।
अब चाहे मुझसे तू प्यार कर या, दुश्मन समझ तू मुझको।।
यह सब इसीलिए किया——————————।।
ऐसा मत सोचना कि, चाहता हूँ मैं तेरी दौलत।
फक़त इसीलिए मैं तुमको, करता हूँ मोहब्बत।।
मुझको जरूरत नहीं है, तेरे महलो- दौलत की।
मगर मैं तो चाहता हूँ यार, खुश देखना हरपल तुमको।।
यह सब इसीलिए किया————————–।।
मैं नहीं हूँ प्यासा यार, तेरी इस जवानी का।
मैं नहीं हूँ गुलाम यार, हुस्न-ए-दीवानी का।।
तेरी खूबसूरती की, मैं तारीफ करता नहीं।
मैं मानता हूँ अपनी इज्जत, सच मैं यार तुमको।।
यह सब इसीलिए किया———————-।।
जिंदगी में गमों से, कभी निराश मत होना।
अगर अकेला हो तो तू , मुझको आवाज़ देना।।
मगर सौदा अपनी इज्जत का, कभी तू मत करना।
तू है आन मेरी, इसी ख्वाब से मैंने चाहा है तुमको।।
यह सब इसीलिए किया————————।।