
हरी राम यादव, बनघुसरा, अयोध्या, (उ. प्र.)
लड़ना ही है तो लड़ो मित्रों
जो बीत गई वह बात गई
उस पर हो कोई बात नहीं
उन बीतें दिन की बातों पर
हो कोई घात प्रतिघात नहीं।
जो कुछ हुआ भूतकाल में,
वह उस समय की जरूरत थी,
उनके सम्मुख न और कोई,
विकल्प और दूसरी सूरत थी।
जो ठीक लगा किया उन्होंने,
वह तब की उनकी परिस्थिति थी ।
हम भी तो आज वही कर रहे,
सामने उपजी जो भी स्थिति थी।
लड़ना ही है तो लड़ो मित्रों,
भुखमरी अशिक्षा गरीबी से।
खूब लड़ो उन भ्रष्टाचारियों से,
जो हक छीन रहे करीबी से।
लड़ोगे अगर वे वजह की बातों में,
यह समाज जंगल बन जाएगा।
हर वर्ग व्यवस्था को देगा चुनौती,
हर जाति, धर्म, वर्ण टकराएगा ।।