मेजर आसाराम त्यागी, महावीर चक्र (मरणोपरान्त)

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हरी राम यादव, अयोध्या, उ. प्र.। 

मेजर आसाराम त्यागी, महावीर चक्र (मरणोपरान्त)

मेजर आसाराम त्यागी का जन्म 02 जनवरी 1939 को उत्तर प्रदेश के जनपद गाजियाबाद की मोदी नगर तहसील के फतेहपुर गांव में श्रीमती श्रीमती बसंती देवी और श्री सागुवा सिंह त्यागी के यहाँ हुआ। उन्होंने अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा समीप के गांव सोंदा से पूरी की , स्नातक की शिक्षा मोदी डिग्री कॉलेज मोदी नगर और इंग्लिश मे पोस्ट ग्रेजुएशन मेरठ कॉलेज, मेरठ से पूरी की । वे बचपन से ही पढाई , खेल , कूद में अव्वल थे। उन्होंने इंडियन मिलिट्री अकादमी से पास आउट होने के बाद 17 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में में कमीशन लिया और 3 जाट रेजिमेंट में पदस्थ हुए ।

1965 के भारत पाकिस्तान के युध्द में मेजर आशाराम त्यागी की यूनिट 3 जाट रेजिमेंट पश्चिमी मोर्चे पर डोगरई गांव के पास तैनात थी, वह अपनी यूनिट की एक अग्रिम टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। 21–22 सितम्बर 1965 की रात को पाकिस्तान के डोगरई गांव में दुश्मन की स्थिति पर कब्जा करने का कार्य दिया गया। उस समय की परिस्थितियों के अनुसार सामरिक दृष्टि से यह चुनौती बहुत बड़ी व महत्वपूर्ण थी क्योंकि इस स्थल पर दुश्मन अच्छी पोजीशन में था। दुश्मन की जिस जगह पर कब्जा करना था वह पिल बाक्सों से घिरी हुई थी और उसकी सुरक्षा के लिए टैकों की एक प्लाटून तथा रिक्वायललेस तोपें लगी हुई थीं ।  इसके बावजूद मेजर आसाराम त्यागी ने आगे बढ़कर इस चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया और अपने दल के साथ निडरता के साथ लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ चले। अब तक उनके कंधे में 02 गोलियॉं लग चुकी थीं। खून काफी तेजी से बह रहा था। अपने घाव की परवाह किए बिना वे आगे बढ़ते रहे। उन्होंने ग्रेनेड की मदत से टैंकों के कई गनरों को मार गिराया। दो टैंकों को पकड़ लिया। इसी बीच दुश्मन की और 03 गोलियॉ उनके शरीर को पार कर गयीं। अब वे बुरी तरह घायल हो गये थे। ज्यादा रक्तस्राव होने के कारण वे बार बार मूर्छित हो रहे थे किन्तु अपनी प्लाटून का लगातार नेतृत्व करते रहे। उन्हें चिकित्सा के लिए युद्ध क्षेत्र से सैनिक अस्पताल भेजा गया, जहां वे वीरगति को प्राप्त हुए। मेजर त्यागी की शादी केवल एक महीना पहले ही हुई थी। मेजर त्यागी को अपनी सुरक्षा से ज्यादा अपने मिशन और अपने जवानो की ज्यादा चिंता थी , सेना की आन, बान और शान के लिए उन्होने अपना सर्वश्रेष्ठ बलिदान दिया।

21 सितम्बर 1965 को उनके द्वारा प्रदर्शित साहस, वीरता और नेतृत्व क्षमता के लिए उन्हें मरणोपरान्त महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। मेजर त्यागी बचपन से ही बहुत चुस्त दुरुस्त, तेजतर्रार और फुर्तीले थे, उनको देखकर लोग उनके पिताजी से कहते थे कि त्यागी देखना तुम्हारा यह बेटा बड़ा होकर तुम्हारा व तुम्हारे परिवार का नाम एक दिन पूरे देश में रोशन करेगा। उस समय कौन जानता था कि एक दिन सच में अपनी वीरता और कुशल नेतृत्व के बल पर वह देश ही नहीं पूरी दुनिया में अपना और अपने परिवार का नाम अमर कर देंगे।

मेजर आसा राम त्यागी की वीरता और बलिदान के सम्मान में मोदीनगर और आस पास के क्षेत्रों मे उनकी याद मे काफी स्कूल और कॉलेज खोले गए है। उनकी याद में स्मृति सेवा ट्रस्ट भी चलाये जा रहे है , जो कि हर वर्ष उनके जन्मदिन पर उनको याद करते है और लोग बच्चों और युवाओं को उनकी वीरता की कहानिया सुनाते हैं । मोदीनगर , ग़ज़ियाबाद, दिल्ली , मेरठ और मुजफ्फरनगर में उनकी प्रतिमा लगाई गई है। मोदीनगर से फ़तेहपुर को जाने वाली सड़क, एक अस्पताल, एक प्राथमिक विद्यालय और बच्चों के पार्क का नामकरण उनके नाम पर किया गया है । लखनऊ में एक हाउसिंग परियोजना का नाम मेजर आसा राम त्यागी के नाम पर “त्यागी विहार” रखा गया ।

 

 

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