
कुलदीप सेमवाल, (एडवोकेट) देहरादून
मेरा वोट सर्वोपरि (अनुच्छेद 326)
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 326 देश के हर नागरिक को अपने मत का प्रयोग करने की स्वतंत्रता देता है ,हर नागरिक अपनी इच्छानुसार अपने मत का प्रयोग चुनावों में प्रतिभाग करने वाले प्रतिनिधि को उसके गुण दोषों के आधार पर तथा उसके द्वारा समाज के बीच बनायी गई ख्याति तथा प्रतिष्ठा तथा समाज में उस व्यक्ति के योगदान के आधार पर एक आम नागरिक उस व्यक्ति को अपना मत देकर अपना प्रतिनिधि चुनता है ।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 में मत देने के लिए एक आयु सीमा 18(अठारह )वर्ष निर्धारित हो रखी है,1988- से पूर्व मत देने की आयु इक्कीस 21 वर्ष रखी गई थी किंतु 1988 में भारतीय संविधान मे इकसठव (61)संविधान संशोधन किया गया और उसके बाद से वोट देने की आयु इक्कीस वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई ।किन्तु इस संदर्भ में भी समाज के अलग अलग बुद्धीजीवियों के अलग अलग तर्क दिये कुछ बुद्धिजीवियों ने माना कि 21 वर्ष की आयु में ही एक व्यक्ति को निर्णय लेने की क्षमता तथा समाज की सही परख होती है और वह सही प्रतिनिधि को चुनने में 21 वर्ष की आयु में सक्षम होता है ,किन्तु वहीं दूसरे बुद्धिजीवी वर्ग का यह तर्क था कि एक युवा 18 वर्ष की आयु में अच्छी समझ रखता है और वो 18 वर्ष तक पर्याप्त ज्ञान ,तर्कशक्ति, तथा निर्णय लेने की क्षमता को प्राप्त कर लेता है इसलिए 18 वर्ष में ही एक व्यक्ति को मत देने का अधिकार मिलना चाहिए ।
यदि चर्चा की जाए मत के ताक़त की तो यह विषय स्वयं में ही काफ़ी विस्तृत रूप में उल्लेखित है इसका जीता जागता उद्धारण वर्तमान में हुए 18 वी लोकसभा के चुनाव परिणाम है ।वर्तमान लोक सभा चुनाव में जिस तरह भारत की जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया तथा जिस सूझ-बूझ से जनता द्वारा लोक सभा में प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिभागीयों का चुनाव किया गया वह दर्शाता है कि हर एक मत कितना महत्वपूर्ण है तथा किस तरह भारत मे आम जनता को अपने मत का प्रयोग करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है ।
वर्तमान में अठारहवीं(18) लोक सभा चुनाव में विशेष तौर पर दो वर्गों के मध्य चुनाव हुआ जिसमें एक वर्ग में NDA alliance तथा दूसरे वर्ग में INDIA alliance था ।NDA alliance वर्ग में लगभग 40 पार्टियों का समूह था और INDIA alliance वर्ग में लगभग 28 पार्टियों का समूह था| इसके अलवा कुछ प्रतिनिधियों ने स्वतंत्र रूप से भी चुनाव में प्रतिभाग किया उन प्रतिनिधियों ने उक्त दोनों वर्गों में जाने की बजाय अपने आप को स्वतंत्रता रखा क्योंकि वह दौनों वर्गों की विचारधारा से सहमत नहीं हुई ।
यदि हम बात करे वर्तमान लोक सभा चुनाव परिणाम की तो इस बार चुनाव परिणाम चुनावी बुद्धीजीवियों द्वारा किए गए आंकलन के बिलकुल विपरीत आए जो भी आंकलन चुनावी बुद्धिजीवियों द्वारा परिणाम घोषित होने से पूर्व देश के सामने रखे गये थे वह सारे परिणाम धरे के धरे रह गये और चुनाव नतीजों ने सबको चौंका दिया ।समाचार पत्र तथा समाचार चैनलों एवम् पत्रकारों द्वारा exit poll में जो भी आंकड़े चुनाव परिणाम के संदर्भ में दिखाई गए वह सारे आंकड़े चुनाव परिणाम के विपरीत रहे । इस चुनाव के परिणाम से सबसे ज़्यादा प्रभावित भारतीय शेयर बाज़ार हुआ शेयर बाज़ार पर exit poll तथा वास्तव चुनावी परिणामों का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा ,हालाँकि भारतीय शेयर बाज़ार अब धीरे धीरे वापस पटरी पर आ रहा है।किंतु इस बार के चुनाव परिणाम से यह तो साबित हो गया कि लोकतंत्र की ताक़त क्या है और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हर व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए कितना स्वंतत्र है। 18वी लोक सभा के चुनाव के परिणाम पर यदि चर्चा की जाए तो इसमें NDA alliance वर्ग को कुल540 में से293 सीटें प्राप्त हुई जिसमें से सबसे ज़्यादा 240 सीट BJP ने प्राप्त की जो की उनके पिछले लोक सभा चुनाव से 63 सीटें कम थी, वहीं दूसरे और INDIA alliance वर्ग ने कुल 543 में से 234 सीटें प्राप्त की इसमें सबसे ज़्यादा सीटें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 99 सीटें प्राप्त की जो की उनके पिछले लोक सभा चुनाव से 47 सीटें अधिक थी ।इसके अलावा सोलह (16)सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे प्रतिभागियों ने जीत दर्ज की ।इन चुनाव परिणामों ने लोकतंत्र पर जनता की विश्वसनीयता को क़ायम रखा और साथ ही यह भी साबित कर दिया की भारत मे हर एक व्यक्ति अपने अधिकारों को लेकर कितना स्वंतत्र है तथा इस से यह दर्शित होता है की एक मज़बूत लोकतंत्र देश के समृद्ध विकास के लिए कितना महत्वपूर्ण हैं।