
हरी राम यादव, सूबेदार मेजर (ऑनरेरी)
लेखक एवं कवि, अयोध्या।
“वीरगति दिवस विशेष”
‘कैप्टन राकेश शर्मा’
“शौर्य चक्र, मरणोपरांत”
उत्तर प्रदेश का जनपद मथुरा विश्व के इतिहास में द्वापर युग से प्रेम और भक्ति के प्रेरक के रूप में प्रसिद्ध है । मथुरा का यह क्षेत्र जहाँ पूरे विश्व को प्रेम का सन्देश देता है वहीं विश्व को सैनिक धर्म का पाठ भी पढ़ाता है । अर्जुन जैसे धनुर्धर ने जब युद्ध के मैदान में अपने सामने अपने ही कुल के योद्धाओं को खड़े देखा तो उनके अन्दर मोह उत्पन्न हो गया , तब श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश देकर उनको युद्ध के लिए उद्दत किया । इसी जनपद की माटी में एक ऐसे ही वीर सपूत ने जन्म लिया जिसने अपने साहस और वीरता के बल पर भारतीय सेना , अपने प्रदेश और देश को अपने नाम के अनुरूप गौरवान्वित किया ।
वर्ष 1995 में 11 राष्ट्रीय राइफल्स जम्मू और कश्मीर के डोडा जिले में तैनात थी । इस बटालियन का जिम्मेदारी का क्षेत्र नियंत्रण रेखा के निकट था । फरवरी 1995 के आखिरी दिनों में खुफिया स्रोतों से जानकारी प्राप्त हुई कि किश्तवाड़ तहसील के भल्ला क्षेत्र में एक आतंकवादी शिविर स्थित है, इस शिविर को नष्ट करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा एक अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया। कैप्टन राकेश शर्मा को इस महत्वपूर्ण अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गयी । कैप्टन राकेश शर्मा ने 02 मार्च 1995 को संदिग्ध क्षेत्र की विस्तृत जांच की ताकि अभियान की योजना बनाने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की जा सके। यह शिविर लगभग 11000 फीट की ऊँचाई पर स्थित था। कैप्टन राकेश शर्मा ने इस शिविर तक जाने के लिए एक ऐसा मार्ग अपनाने का निर्णय लिया जो दुर्गम हो और जिसके बारे में आतंकवादियों को आभास ना हो कि यहाँ से भी कोई आ सकता है।
कैप्टन राकेश शर्मा ने 04 मार्च 1995 की सुबह जल्दी अपने दल के साथ ऑपरेशन शुरू किया। कैप्टन राकेश शर्मा का दल उस दुर्गम मार्ग से गोपनीयता बनाये रखते हुए आतंकवादियों के शिविर तक पहुँचने में कामयाब रहा। कैप्टन शर्मा के दल ने उस क्षेत्र को घेर लिया और आतंकवादियों को आत्मसमर्पण के लिए चेतावनी जारी किया लेकिन आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण नहीं किया। उन्होंने कैप्टन शर्मा के दल पर फायरिंग शुरू कर दी। दोनों ओर से भयंकर गोलीबारी शुरू हो गई। इस मुठभेड़ में एक खूंखार उग्रवादी अहमद शाह मसूद को मार गिराया गया। चारों ओर से घिरा हुआ देखकर आतंकवादियों ने भागना शुरू कर दिया। कैप्टन शर्मा के दल ने भागे हुए उग्रवादियों का पीछा किया। इसी बीच एक दो मंजिला इमारत से भारी मात्रा में गोलाबारी होने लगी। कैप्टन राकेश शर्मा ने तुरंत फायर बेस स्थापित कर अवरोध उत्पन्न कर दिया। उनका दल आतंकवादियों से भिड़ गया। इस प्रक्रिया में कैप्टन राकेश शर्मा के बाएं कंधे पर गोली लग गई। घायल होने के कारण उनके साथी सैनिकों ने उन्हें वहां से सुरक्षित स्थान पर भेजना चाहा परन्तु उन्होंने वहां से जाने से मना कर दिया।
उन्होंने उस मकान पर भीषण फायरिंग शुरू कर दिया, इस फायरिंग से आतंकवादी हक्के बक्के रह गए। उन्होंने ऐसी जगह पोजीशन ले रखी थी कि वह अपने दल को कवरिंग फायर दे रहे थे, लेकिन उनका दल उनको कवरिंग फायर नहीं दे पा रहा था। व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना उन्होंने आतंकवादियों के फायरिंग स्थल पर धावा बोल दिया और एक अफगान आतंकवादी को मौके पर ही मार गिराया। इससे पहले कि वह बचे हुए उग्रवादियों से वह निपट पाते दूसरे कमरे में छुपे आतंकवादियों ने ए के – 56 से उनके ऊपर ब्रस्ट फायर कर दिया। कैप्टन राकेश शर्मा ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना दूसरे कमरे में छुपे आतंकवादियों पर भीषण फायरिंग कर दी और एक अन्य विदेशी आतंकवादी को मौत के घाट उतार दिया।
दोनों तरफ से हो रही गोलीबारी में उनकी गर्दन की बायीं ओर घातक चोट लग गयी। इस घातक चोट के कारण 28 वर्ष की आयु में भारत माता का यह अमर सपूत वीरगति को प्राप्त हो गया। इस ऑपरेशन में तीन आतंकवादी मारे गए तथा तीन ए के 56 राइफल और चार मैगजीन बरामद हुईं। कैप्टन राकेश शर्मा के अदम्य साहस, वीरता और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया ।
कैप्टन राकेश शर्मा का जन्म 25 मई 1966 को जनपद मथुरा के भरनाकला गांव में एक सैनिक परिवार में श्रीमती संतोष शर्मा तथा ऑनरेरी कैप्टेन हरिहर शर्मा के यहां हुआ था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा झांसी और बरेली से प्राप्त की, 05 जुलाई 1976 को राजस्थान के धौलपुर में मिलिट्री स्कूल में कक्षा VI में प्रवेश लिया और इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा पूरी की। उन्होंने पुणे से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 26 जून 1989 को भारतीय सेना की मैकानाइज्ड इन्फेन्ट्री में कमीशन लिया और 17 मैकानाइज्ड इन्फेन्ट्री में पदस्थ हुए। बाद में इनकी अस्थायी तैनाती 11 राष्ट्रीय राइफल्स में हुई।
कैप्टन राकेश शर्मा के साहस, वीरता और बलिदान की यादों को संजोये रखने के लिए उनके गाँव भरनाकला में एक शहीद स्मारक का निर्माण किया गया है जिस पर जनपद मथुरा के समस्त वीरगति प्राप्त सैनिकों के नाम लिखे गए हैं। इसके अलावा इनके गांव भरनाकला में “कैप्टन राकेश मोहन श्याम डिग्री कालेज”, “कैप्टन राकेश मिलेनियम स्कूल “, “कैप्टन राकेश इंटर कालेज” तथा मथुरा शहर में “कैप्टन राकेश पब्लिक स्कूल”, “कैप्टन राकेश रमेश चन्द्र इंफ्रास्ट्रक्चर कम्पनी”, “कैप्टन राकेश गैस एजेंसी” और गोवर्धन से छाता जाने वाली सड़क का नामकरण शौर्य चक्र कैप्टन राकेश शर्मा के नाम पर किया गया है।