पंजाब में पुनः आतंक फैलाने की तैयारी में पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई।

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सुभाष आनंद।

 

पंजाब में पुनः आतंक फैलाने की तैयारी में पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई।

 

 

हुसैनी वाला के पार से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी एक बार पुन: भारतीय पंजाब को अशांत करने के नित नए-नए षड्यंत्र रच रही है। हिंद-पाक सीमा पर पूरी तरह फेंसिंग होने और सीमा सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी के चलते सीमा पार से इसी रास्ते से ना तो नशीले पदार्थों की तस्करी हो पा रही है और ना ही अवैध हथियारों का जखीरा आ पा रहा हैं जो 1980 के समय बोरियों में भर-भर कर सतलुज के रास्ते भारत लाया जाता था।

सीमा पर कड़ी चौकसी से बौखलायी पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी भारतीय पंजाब में सांप्रदायिक तनाव फैलाने का षड्यंत्र भी रच रही है और हिंदू नेताओं की हत्या के लिए जाल बिछा रही है। पिछले दिनों कुछ ऐसे सबूत भी मिले हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी पंजाब में पुन: नौजवानों को पंथ के बहाने भड़काने की कोशिशें कर रही है।

पिछले 5 वर्षों में पंजाब के सिख नौजवान जो समय-समय पर तीर्थ यात्रा के लिए पाकिस्तान गए ,उनका रिकॉर्ड खंगालने के पश्चात पता चला है कि उनकी विचारधारा कुछ बदली हुई है और वह खालिस्तानी संगठनों से जुड़ गए हैं।

पिछले वर्ष एजेंसियों ने कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की थी और उनसे आपत्तिजनक खालिस्तानी साहित्य भी मिला था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी द्वारा आज पुनः पंजाब में आतंकवाद जैसा वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है ,इसी कारण बसों पर भिंडरावाला के फोटो लगाए गए और विवाद हुआ, सरकार को चाहिए कि ऐसे अराजकता फैलाने वाले सांपों के फन सख्ती से दबा दिए जाने चाहिए। सूत्रों से पता चला है कि पंजाब में आई. एस. आई को जासूसी करने के लिए नौजवान नहीं मिल रहे हैं,इसलिए पाकिस्तान सिखों के त्यौहारों पर आने वाले नौजवानों से प्यार की पींगे बढ़ा रहा है, यात्रा के दौरान उनसे अच्छा व्यवहार और तरह-तरह के लालच देकर उन्हें अपने जाल में फंसा रहा है।

उधर ,यह भी पता चला है कि पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी भारत के नामी गैंगस्टर जो विदेश में बसे हुए हैं, उनसे संपर्क कर रही है और नई भर्ती के लिए कह रही है। भारत में सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ गुप्तचर एजेंसियों के सामने अपराध की एक नई प्रवृत्ति सामने आई है। जिसके अनुसार पाकिस्तान की आई.एस.आई और आतंकी संगठन गैंगस्टरों को हमले का जिम्मा सौंप रहे हैं।

 

यह भी चर्चा है कि पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी पंजाब का वातावरण खराब करने के लिए पंजाब के बड़े हिंदू नेताओं को मारने की योजना पर काम कर रही है। इन गैंगस्टरों में एक तो पुलिस के हाथों पकड़ लिया गया जबकि अन्य चार गिरफ्त से बाहर हैं। पुलिस और गुप्तचर एजेंसियां उनकी लगातार तलाश कर रही है। यह गैंगस्टर बड़ी-बड़ी डकैतियों ,हत्याओं, नशीले पदार्थों की तस्करी और अन्य मामलों में जेल में बैठकर रैकेट चला रहे हैं। इस नई रणनीति के पीछे कारण यह है कि स्थानीय स्लीपर सेल (जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है) भी लगभग समाप्त हो चुके हैं। और नई पीढ़ी यह काम करने के लिए साफ इनकार कर रही है ,क्योंकि उन्हें सुरक्षा एजेंसियों के हाथों मारे जाने का खतरा है।जबकि दूसरी तरफ गैंगस्टर आसानी से सामग्री एकत्रित कर सकते हैं और हमलों को अंजाम दे सकते हैं ,अब हथियारों की सप्लाई का चलन बदल दिया गया है। सीमा पर कंटीली तार और चप्पे चप्पे पर सीमा सुरक्षा बलों की चौकसी के कारण अब ड्रोनों से हथियारों की सप्लाई की जा रही है।

पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आई एस.आई सीमावर्ती जिलों में सैनिक ठिकानों का पता लगाने के लिए हनी ट्रैप का भी सहारा ले रही है। पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी विदेशों में बैठे आतंकवादियों और गैंगस्टरों से संपर्क साध रही है और खालिस्तान समर्थक सिख संगठनों के माध्यम से विदेशों में खालिस्तान का एक बड़ा आधार बना रही हैं।

पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी ब्रिटेन में नित नए-नए आतंकवादी संगठनों को अपना समर्थन दे रही है ,ब्रिटेन में एक नया खालिस्तान समर्थक संगठन सिख यूथ फेडरेशन धीरे-धीरे ब्रिटेन के विश्व विद्यालयों और कॉलेजों में अपनी घुसपैठ कर रहा हैं। सुरक्षा प्रतिष्ठान में काम करने वाले अधिकारियों का कहना है कि इन्हें ब्रिटेन की अधिकांश सिख आबादी से समर्थन नहीं मिल रहा है।

कट्टरपंथी सिख समूह खालिस्तान आंदोलन को पुन: जीवित करने के लिए जी जान से लगे हुए हैं। आतंकवाद का दंश झेल चुके पंजाब में फिर से माहौल खराब करने के लिए अब आई एस.आई गैंगस्टरों का सहारा ले रही है। गैंगस्टरों से संपर्क करने और फिर उन्हें आतंकी गतिविधियों में शामिल करने का काम पहले आतंकवादियों द्वारा करवाया जाता रहा है ,ऐसे में युवाओं को स्लीपर सेल बनाने की तैयारी की जा रही है ताकि पंजाब का वातावरण पुन: खराब किया जा सके ,सोशल मीडिया के जरिए इस अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है। (विनायक फीचर्स)

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