देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान…!

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 प्रभारी सम्पादकः पंकज सीबी मिश्रा / राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी।

 

 

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान…!

 

 

पंकज सीबी मिश्रा / राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी

 

 

 

आधुनिक समाज में ट्रेंड बदलने के नाम पर हमने सबसे अधिक नुकसान किया है संस्कार का। ज्यादा दहेज के लालच में पढ़े लिखे एवरेज संस्कारी लड़कियों की जगह हाई फाई बहुए ढूंढने जा रहे और बदले में मिल कौन रहा सोनम रघुवंशी, निकिता सिंघानिया जैसी लड़कियां जो मर्डर मिस्ट्री और अफेयर की स्क्रिप्ट राइटर है और बड़ी क्रूरता से इसको अंजाम भी दे रही । इन्होंने अपने पतियो के साथ जो कुछ भी किया वो समाज के लिए एक चेतावनी है। हाई प्रोफाइल मां-बाप अपने बच्चों को बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि वो कैसा है। इन सबके बावजूद वो अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के लिए झूठ-फरेब बोल करके शादी कर देते हैं। हाल की कई घटनाओं से हम सबक ले सकते हैं। ऐसे में हर मां-बाप से गुजारिश है कि अपने बच्चों को इंसान की इज्जत करना सिखाएं। घर में छोटे-बड़ों सबकी इज्जत करना, उनके साथ अच्छे से पेश आना सिखाएं। एकल परिवार की जगह संयुक्त परिवार की खूबसूरती के बारे में बताएं। बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करें कि वो अपने मन की हर बात आपको बताते रहें। यदि आपके अलावा भी परिवार का कोई सदस्य बच्चों को किसी गलती पर डांटे तो ओवर रिएक्ट न करें, बच्चे को आराम से समझाएं कि तुमने गलती की है, तो उन्होंने डांटा है। यदि अंजाने में भी बिना किसी गलती के परिवार में किसी बड़े सदस्य ने डांट दिया तो उससे कहें कि बेटा वो उम्र में तुमसे बड़े है, भैया, दीदी, चाचा, बाबा, बुआ, दादी जो भी लगते हैं, तुम्हारे अच्छे के लिए ही डांटा होगा। बहुत सी शादियां लड़के और लड़की दोनों को पसंद नहीं होती हैं, तब भी पारिवारिक दबाव में कर दी जाती हैं। यही रिश्तों में कड़वाहट, संबंध विच्छेद और हत्या जैसी घटनाओं का कारण बन रही है। इसमें लड़के-लड़की जितने दोषी हैं, उनके मां-बाप भी उतने ही दोषी । हर मां-बाप सोचता है कि बेटी की शादी जिस घर में हो दामाद इकलौता मिले। बड़ा घर हो, महंगी गाड़ियां हो, खूब पैसा हो, घर में नौकर-चाकर हों। यदि लड़का सरकारी जॉब में हो, तब तो हजारों झूठ बोलकर बेटी की शादी कराने में जुट जाते हैं। ऐसे लोगों की लड़कियां तकलीफ उठाती है । लड़की भले ही कम पढ़ी लिखी हो पर संस्कारी हो सभ्य हो और नॉलेज के नाम पर एवरेज हो लेकिन परिवार मैनेज करने वाली घर से हो तो जरूर विवाह कर ले वो भी बिना दहेज के क्युकी फिर आपकी पीढ़ियां सही रहेंगी । लड़की काली, गोरी, मोटी-छोटी, भेंगी, कानी बहरी जैसी भी हो पर संस्कारी हो । उसके नौकरी, हाई प्रोफाइल सोसायटी , बाप की दौलत, विश्व सुंदरी वाली हैसियत इत्यादि देख कर शादी करोगे या फिर वो भारी भरकम दहेज लेकर आएगी तो यही हाल होगा जो इंदौर की सोनम रघुवंशी और निकिता सिंघानिया ने किया। यदि लड़का सरकारी नौकरी करता है, मोटा है, छोटा है, काला है, तब भी लड़की हूर की परी ही चाहिए होती है। ऐसी शादियां होने के कुछ ही दिनों बाद हकीकत सामने आती है, तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है। लड़की/लड़का एक-दूसरे के साथ एडजस्ट नहीं कर पाते। यदि शादी के पहले से अफेयर है, तो लड़के/लड़की की जान भी खतरे में आ जाती है। मां-बाप बच्चों पर नजर रखें, उसके स्कूल से लेकर दोस्तों तक, खाने-पीने से लेकर पहनने ओढ़ने और सोने जागने तक की हर एक्टिविटी पर नजर रखेंगे, तो निश्चित तौर पर वह गलत रास्ते पर जाने से बच जाएगा। बच्चों को स्वतंत्रता मिलनी भी जरूरी है, लेकिन अनुशासित रखना उससे अधिक जरूरी है। नई पीढ़ी को सुधारने का जो काम मां-बाप और समाज कर सकता है, वो कोई भी कानून, कोर्ट या सजा नहीं सुधार सकते हैं।

इसलिए आधुनिकता की अंधी दौड़ में अपने, अपनों और संस्कारों को न भूलें। ये आपके दिए हुए संस्कार ही हैं, जो किसी बेटी को सावित्री सी पतिव्रता तो किसी को सुपर्णखा बनाते हैं, ये संस्कार ही हैं, जो किसी को सोनम तो किसी को तुलसी बनाते हैं। ये संस्कार ही हैं, जो किसी को अब्दुल कलाम तो किसी को बिन लादेन बनाते हैं। अपने बच्चों में संस्कार की नींव मां-बाप ही रखते हैं, इसलिए सबसे पहले उन्हें जिम्मेदारी लेनी होगी। जीवन के हर मोड़ पर समझदारी से फैसले लेने होंगे, तभी आने वाली पीढ़ियों पर हमें अफसोस नहीं गर्व होगा और शादियां स्थाई टिकाऊ और सामाजिक अपराधों से परे होंगी। बहू ढूंढिए क्रिमिनल नहीं! दहेज वाली हाई प्रोफाइल सादियों से बेहतर है गरीब घर की पढ़ी लिखी संस्कारी कन्या ढूंढिए।

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