संजय एम. तराणेकर,
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर, (मध्यप्रदेश)
दुनिया में जालिम लोग पड़े हैं…?
इस दुनिया में ऐसे जालिम लोग भी पड़े हैं,
हमसे करवा ही लेते हैं ऐसे बहुत सारे काम!
वे मेहनताना भी नहीं देते और नोचने खड़े हैं।
क्या बात करें इनकी सर पे ही आ के खड़े हैं,
हमको दिखा देते हैं बिना यात्रा के चारों धाम!
हम जा रहे घर, रास्ता है जाम वे रोकने खड़े हैं।
चित भी मेरी पट भी मेरी की तर्ज पर ये अड़े हैं,
हमको ही दिखाते आँख, ऊंची करते हैं नाक!
हमारी हस्ती मिटाने पूरी ताकत झोंकने चले हैं।
धन की माया में गठरी लेकर आकंठ डूब चले हैं,
अब पूरे देश में हो गया है इनका जबरदस्त नाम!
द्रोहियों के आगे सिर झुका तलवे चाटने चले हैं।