ब्यूरो ब्रह्मखाल (उत्तरकाशी): सुरेश चंद रमोला।
गेंवला गांव की द्याणियों ने बौखनाग को चढाया सोने का छत्र, मन्नत भी मांगी।
बौखनाग टापू की पूर्वमुखी तलहटी मे बसा सुंदर रमणिक गांव गेंवला मे प्राचीन समय से ही बौखनाग को आराध्य देव के रुप मे माना जाता है। यहाँ हर वर्ष 15 गते मंगसीर को बौख नागराजा का भब्य और दिब्य मेला आयोजित होता है और अपने ईष्ट को ग्रामवासी गंगाजल और दूध से स्नान कराते है। पीत वस्त्र और श्रीफल का चढावा चढा कर बौखनाग को भेंट दी जाती है। इस वर्ष के मेले के स्वरुप को गांव की विवाहित लडकियां जिन्हे लोकभाषा द्याणियां कहते है ने बहुत आकर्षक और भब्य बनाया। गांव की 200 से अधिक द्याणियों ने अपने मैती इष्ट देव बौखनाग को आठ तोले का सोने का छत्र भेंट किया और पूजा अर्चना के साथ फूल मालाओं से श्रृगांर किया। उन्होने विश्वराणा देवता, मात्रिकाएं और पांच पाडवो का भी पूजन किया। स्थानीय निवासी गिरीश रावत ने भी श्रद्धा से चांदी का धुपाणा देवताओं को भेंट किया।
ग्रामीणों ने भी अपनी इन द्याणियों का स्वागत कर उन्हें देवता का प्रतीक चिन्ह वा अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। मेले मे द्याणियों ने अपने मैतियों के साथ मिलकर खूब खुशियाँ मनाई। रासू, तांदी नृत्य कर देव पालकी के साथ नाचती खेलती लडकियों ने गांव का माहौल भक्तिमय बन दिया। इस बार मेला स्थानीय दीपावली बग्वाल के आने से घरों पर विशेष प्रकार के पकवान की खुशूबू से भर गया। बग्वाल मे देवलांग और ब्रततोड का उत्सव भी मनाया गया और नाच गानो के साथ एक साल के लिये देव पालकी को भंडारा गया। इस दौरान गांव के लोग दूर दूर से गांव आये और इस मेले के गवाह बने।