बादल तो बरसेंगे ही एवं मुक्तक सुमन का लोकार्पण समारोह  दोनों ही पुस्तकें गीतिकाव्य की बेजोड़ कृति।

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बादल तो बरसेंगे ही एवं मुक्तक सुमन का लोकार्पण समारोह 

दोनों ही पुस्तकें गीतिकाव्य की बेजोड़ कृति।

 

औरंगाबाद हिंदी साहित्य भारती के तत्वावधान में प्रसिद्ध कवि एवं लेखक सत्येंद्र चौबे सुमन रचित बादल है तो बरसेंगे ही एवं मुक्तक सुमन का लोकार्पण समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ की गई। मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष इंदरसिंह नामधारी,विशिष्ट अतिथि के रूप में शंभू नाथ पांडेय,डा सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, दिलीप कुमार चौबे गढ़वा के शिक्षाविद,श्रीधर प्रसाद द्विवेदी,हिंदी साहित्य भारती के मार्गदर्शक, महोत्सव पुरुष सिद्धेश्वर विद्यार्थी, पर्यावरणविद डॉ रामाधार सिंह, काष्ठ कला विद प्रेम प्रकाश भसीन, जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के महामंत्री धनंजय जयपुरी, उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी द्वारा पुस्तक का लोकार्पण किया गया।जी एल ए कॉलेज मेदिनीनगर के पूर्व प्राध्यापक प्रो सुभाष चन्द्र मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का संचालन हिंदी साहित्य भारती के प्रांतीय सचिव राकेश कुमार द्वारा किया गया।राम प्रवेश पंडित ने सरस्वती वंदना का गान किया।अनुज कुमार पाठक एवं धनंजय जयपुरी ने छंदमय स्वागत उद्बोधन दिया गया।परशुराम तिवारी द्वारा विषय प्रवेश करते हुए कहा गया कि दोनों ही पुस्तकों में 100 से ज्यादा मुक्तक है जिसमें कवि द्वारा ईश्वर से साक्षात्कार करने का प्रयास किया गया है।सुनो पतंगा नहीं डरता है शीर्षक कविता की चर्चा की। पलामू के काष्ठ कला विद प्रेम प्रकाश भसीन ने कहा कि ये दोनों ही पुस्तकें भविष्य में साहित्य के नजीर साबित होगी। डॉ रामाधार सिंह ने कहा कि ये दोनों ही पुस्तकें पर्यावरण से जुड़े हुए हैं।सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने कहा कि मानव को कुछ ऐसा काम करना चाहिए कि लोग हमेशा याद कर सकें। पूर्व आपूर्ति पदाधिकारी।शशिनाथ चौबे ने कहा कि इस पुस्तक की भिन्न भिन्न व्याख्या से पता चलता है कि इस पुस्तक की कितनी महता है।मुख्य अतिथि माननीय इंदर सिंह नामधारी ने कहा कि बादल तो बरसेंगे ही पुस्तक पर तुलसी दास के चौपाई का बादल नजदीक आकर बरसने का उदाहरण दिया।विदित हो कि झारखंड राज्य के निर्माण में नामधारी जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।अपनी बचपन की आपबीती सुनाई।कुंआ में गिरने पर उनको जान बचाने वाले की चर्चा की।शिक्षाविद शंभूनाथ पांडेय ने कहा कि हमारी शैक्षणिक पृष्ठभूमि की शुरुआत पलामू से ही हुई है। पलामू की धरती की साहित्यिक उर्वरा शक्ति बेजोड़ रही है।समकालीन जवाबदेही पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा ने कहा कि बादल तब बरसते हैं जब वे गरजते नहीं गरजने वाले बादल बरसते ही नहीं है प्रेम की मिलन एवं विरह आत्मा के सौंदर्य का स्वरूप है। मानव होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य है। लेखक ने पत्रिका के माध्यम से लोगों को जागृत किया है जब लेखनी जागती है तो उसके सामने सैकड़ो बंदूक फेल हो जाते हैं। सुधीर चौबे ने कहा कि कवि ने बरसने वाले बादल की चर्चा की। धन्यवाद ज्ञापन रमेश कुमार सिंह द्वारा किया गया।

कवि संगम त्रिपाठी संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा ने बताया कि सुरेश विद्यार्थी जी प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के मीडिया प्रभारी है व हिंदी प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान कर रहे हैं। उनके सानिध्य में पुस्तकें लोकार्पित हुई वे बधाई के पात्र हैं।

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