डिजिटल अरेस्ट : डिजिटल दुनिया का नया अपराध।

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ब्यूरो छत्तीसगढ़ः सुनील चिंचोलकर।

संजय सोंधी, उप सचिव, भूमि एवं भवन विभाग

दिल्ली सरकार 

डिजिटल अरेस्ट : डिजिटल दुनिया का नया अपराध।

कई दिन से टीवी पर, समाचार पत्रों व सोशल मीडिया के अन्य मंचों पर एक खबर वायरल हो रही हैं। यह खबर हम सबके लिए खतरे की घंटी बजने जैसी ही हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भारत के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी डिजिटली अरेस्ट करके ठगी करने का केस सामने आया हैं। डिजिटल धोखेबाजों ने एक महिला डॉक्टर (न्यूरोलॉजिस्ट) को कई दिन तक डिजिटल अरेस्ट बनाए रखा और उससे लगभग पौने तीन करोड़ रुपए की ठगी की गई। इस केस में लखनऊ में रहने वाली डॉक्टर रुचिका के पास एक दिन फोन आता हैं। इस कॉल में उनसे कहा जाता हैं कि उनके नाम और आधार न० के माध्यम से मनी लौन्डरिंग हुई हैं। इस कड़ी में फोन करने वालो ने खुद सरकारी अधिकारी बताया। डॉक्टर रुचिका को फोन कॉल्स के माध्यम से ये बताया गया कि वो सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी और ट्राई के टारगेट पर आ गई हैं। उन्हें दो घंटें के अंदर मुंबई आने के लिए कहा जाता हैं। जब डॉक्टर रुचिका ने कहा कि वो दो घंटें में मुंबई नहीं आ पाएंगी तो कॉलर्स ने उन्हें कहा कि चूंकि वो शिक्षित हैं और जाँच में सहयोग कर रही हैं इसलिए विभाग उन्हें डिजिटल रूप से गिरफ्तार कर रहा हैं। इसके लिए उन्हें 24 घंटें अधिकारियों की निगरानी में रहना पड़ेगा। इसके वीडियो काल का इस्तेमाल किया गया। अपराधियों ने वीडियो पर अपना बैकग्राउंड बिलकुल सरकारी ऑफिस का बनाया था जिससे की डॉक्टर रुचिका को विश्वास हो जाए कि उन्हें सच सरकारी ऑफिस में अरेस्ट किया गया हैं। यहाँ अपराधी आपस में बातें भी अंग्रेज़ी में कानून की भाषा में कर रहे थे। इसी प्रक्रिया में ऑफिसियल जाँच के नाम पर उनसे उनके बैंक अकाउंट की डिटेल्स मांगी गई और उनके खातों से कई करोड़ रुपयों को ट्रांसफर भी करवाया गया। डॉक्टर रुचिका को ये बात तब पता चली जब वह पुलिस के संपर्क में आई।

हमारे प्रबुद्ध पाठक ये जान ले कि अभी तक भारत की कानून व्यवस्था में ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसा कोई प्रत्यय नहीं हैं। ये डिजिटल ठगी का एक नया रूप हैं।

डिजिटल दुनिया, दुनिया के एक आभासी प्रतिनिधित्व का वर्णन करती है। डिजिटल दुनिया का मतलब है, सूचना देने और संवाद करने के लिए डिजिटल उपकरणों और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाली दुनिया। मानव सुविधा व विकास के नाम पर दुनिया में डिजिटल उपकरणों व टेक्नोलॉजी का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा हैं l इसमें कोई संदेह नहीं कि इससे एक इंसान की जिंदगी में सुविधाओं का विस्तार हुआ हैं और उसने उपलब्धियों के नए आयामों को छुआ हैं। डिजिटल दुनिया की यह तस्वीर एक तरफ़ा नहीं हैं l इस तस्वीर का दूसरा खौफनाक पहलू भी हैं, और वो हैं डिजिटल धोखा, ठगी आदि।

अभी कुछ समय पूर्व तक हो रहे डिजिटल अपराधों को देखे तो पहले अपराधी मोबाइल फ़ोन पर आए ओ टी पी को पूछ कर ठगी को अंजाम देते थे l कभी मोबाइल में कोई एप डाउनलोड करते हुए या झांसा देकर कोई नया एप डाउनलोड करा कर, कभी एटीएम कार्ड की चिप की नक़ल बनाकर पैसों को डिजीटली चोरी कर लेते थे या फेसबुक/बैंक अकाउंट हैक करके चोरी करते या नकली ऑनलाइन कंपनी बनाकर डिजिटल चोरी या ठगी के केस सामने आते रहे। डिजिटल अपराधों के इन अलग-अलग रूपों के बारें में हमने कई बार देखा और सुना। पर इन सबसे अलग ‘डिजिटल अरेस्ट’ अपने आप एक अलग ही कहानी हैं l डिजिटल यंत्रों का और तकनीकों का एक अति नकारात्मक और भयावह रूप हैं ये। लखनऊ के केस से एक और बात बहुत स्पष्ट रूप से समाज के सामने आई कि केवल असाक्षर या कम पढ़े-लिखे लोग डिजिटल फ्रॉड के शिकार नहीं हैं वरन समाज के अति शिक्षित व उच्च पदों पर कार्यरत लोग भी इससे अछूते नहीं हैं l यहाँ इससे भी हैरान करने वाली बात ये हैं कि इतने सघन अपराधों को इतनी कुशलता के साथ अंजाम देने वाले अपराधी बहुत कम पढ़े-लिखे व अति निम्न वर्ग के लोग हैं।

इस प्रकार के अपराधों से एक अन्य तथ्य यह भी उभरा हैं कि आप अपने विषय में या क्षेत्र में कितने भी विशेषज्ञ हो ?, कितने ही सफल हो ? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि फर्क इस बात से पड़ता हैं कि आप मनो-सामाजिक रूप से कितने सचेत हैं।

नित्य प्रति अपराधों के रूप बदल रहे हैं। ये विकृत मानसिकता हैं या तकनीक का दुरुपयोग या कैरियर व अकादमिक क्षेत्र में सफल शिक्षित वर्ग की मनो-सामाजिक विफलता या समाज के सो कॉल्ड वंचित वर्ग (शैक्षिक व आर्थिक वंचित वर्ग) के असफल पेशेवरों की मनो-सामाजिक सचेतता। कारण कोई भी हो पर एक बात सच हैं कि डिजिटल फ्रॉड का दानव नए-नए रूपों में अपने पाँव पसार रहा हैं। आम आदमी से लेकर ख़ास तक सभी इससे भयाक्रांत हैं।

इस प्रकार के अपराधों से बचने के लिए बहुत अधिक सचेत रहने की जरूरत हैं। इस सचेत होने का आधार हैं डिजिटल यंत्रों व उनके सावधानीपूर्ण उपयोग की जानकारी होना। सक्रिय व अद्यतन जानकारी का होना बहुत महत्वपूर्ण हैं। डिजिटल सुरक्षा के लिए कुछ सावधानियाँ रखना बेहद अनिवार्य हैं

यथा –

सुरक्षित कनेक्शन बनाए रखने, निगरानी और ट्रेकिंग को रोकने के लिए VPN का उपयोग करने पर विचार करें।

मज़बूत पासवर्ड का प्रयोग करें।

अपने फोन में या मेल में आए किसी लिंक पर क्लिक करने से पहले सोचे।

अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें।

ऑनलाइन खरीददारी करते हुए या ऑनलाइन पैसों का लेन-देन करते समय अतिरिक्त सतर्कता बरते।

 

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