खरी- खरी : छोटी बड़ी पार्टीयां और राजनीति में उनका चरित्र।

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पंकज सीबी मिश्राः सम्पादक (नया अध्याय) जौनपुर, यू.पी.।

खरी- खरी : छोटी बड़ी पार्टीयां और राजनीति में उनका चरित्र।

व्हाट्सएप वाले कहिन की कांग्रेस एंटीनेशनल करप्ट पार्टी है जिसके नेता विदेश की सरजमी से देश के विरोध में माहौल बनाते है। भाजपा नेशनिलस्ट करप्ट पार्टी है, जिसके नेता देश में धर्म के विरुद्ध माहौल बनाते है सपा गुंडा बचाओ पार्टी है, जिसके नेता डकैतो के घर डेरा डालें है और बसपा नोट का ट्रेडमिल है जिसके नेता नोट के पलड़े पर तौले जाते है। आम आदमी पार्टी नेशनल ड्रामा पार्टी है जिसके नेता बस ड्रामेबाजी में मस्त रहते है और तृणमूल भ्रस्टाचार की खदान है । इसलिए भाजपा ज़्यादा अच्छी है कम से कम राष्ट्रवादी तो है। ऐसे तर्क करने वाले अंकिल नुककड़, चाय की दुकान और समाज में खूब पाए जाते हैं। ये अलग बात है कि वो टोपी वाले चचा एंटीनेशनल करप्ट कांग्रेस की दी हुई टेंशन पर भी ज़िंदा हैं । नेशनिलस्ट पार्टी ने तो कोंग्रेसी अंकिलों की संतानों की पेंशन तक खत्म कर दी। बूढ़े दुर्लभ चचाओ को रेल में मिलने वाली सुविधा खत्म कर दी। नये वोटर किसी से खुश नहीं हैं। उधर हमारे मुहल्ले के टोटी से जल ग्रहण करने वाले टोटी चचा टीटर और व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बने बैठे हैं। मोदी विरोध में इधर उधर से आया सिलेबस ट्वीट और फारवर्ड करते रहते हैं । टीटर, व्हाट्सएप पर प्राप्त ज्ञान इनके लिए दिव्य है। एकदम सत्य। मुख़्तार और मंगेश इनके लिए ईमानदार है और बदायूं अयोध्या और कोलकाता में मरे मासूम इनके लिए महत्वहीन । हर वो करप्ट जो नेशनिलस्ट पार्टी भाजपा के विरोध में आ जाए, वो इनके लिए महान है। इन्होने कांग्रेस से हाथ मिलाया और बोले करप्ट है तो क्या हुआ, पुरानें राष्ट्रवादी तो है। इन्हीं के गठबंधन के दिल्ली वाले असली रंगा बिल्ला जो अभी ईडी के कारण जेल की हवा खा रहे थे उसमें से रंगा बेल पर छूटा साथ में ये की कट्टर ईमानदार । टीटर और व्हाट्सएप अंकिल हर जगह पाए जाते हैं। इन्हें अक्सर विदेशी नस्ल के कुत्तों के साथ साईकिल पर पार्कों में लुढ़कते हुए देखा जा सकता है। इनकी एक विशेषता ये भी होती है कि ये गरीबों को अपने पास बैठाना पसंद करते है पर अपने मतलब के लिए । ये अलग बात है कि मुफ्त राशन लेने में पीछे नहीं रहते। इस राशन को बाजार में बेचकर पैसा बना लेते हैं और वोट अपनी जाति देखकर देते है । इनका बस चले तो रेहड़ी ठेले और खोमचों वालों को सैफई में उठाकर नचवा दें। इनकी गाडियां चलने में परेशानी आती है। ट्रेफिक जाम हो जाता है। इन अंकीलों की दुनिया अलग है। नज़ाकत और नफासत से भरी हुई। देश को तीन ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था से उतारने के लिए व्हाट्सएप पर दिन रात मेहनत कर रहे हैं। उधर राष्ट्र भक्त चार सौ पार के लिए मेहनत कर रहे हैं। ऐसे अंकिल लाल टोपी वाली पार्टी के अपडेटेड कार्यकर्ता हैं। सभी क्रांतिकारी वामपंथी यूट्यूबर और जेएन्यु गैंग के फेसबुकिए मोदी को हटाने के लिए लोढ़िया ढुला रहे हैं। और वह भी पिछले दस सालों से, लगातार! ‘लोढ़िया ढुलाना’ एक फेमस मुहावरा है, जिसके अर्थ में यह कि जिसका नाम लेकर लोढ़िया (शिल का बट्टा) ढुला दें तो उसकी मौत हो जाती है और ऐसा करते समय वे किसी मोटे आसामी की कल्पना करते हैं और कहते जाते हैं मोटा मरे, भंडारा मिले। तो इसी तर्ज में सभी डीलिट, पिछड़े जीव जंतु और राजनीति के शाख पर बैठे उल्लू, मोदी और भाजपा विरोधी बन कर,पिछले दस सालों से लोढ़िया ढुला रहे हैं। पर भाजपा है कि दिनों-दिन मजबूत होती जा रही है और मोदी आजीवन प्रधानमंत्री बने बैठे हैं।पर मोदी के नाम पर लोढ़िया ढुलाने वालो! ये तो बताओ, मोदी हट गया तो प्रधानमंत्री कौन बनेगा ? योगी ना ! फिर सोचो कल विकास दुबे गया, मूख्तार गया आगे और कितने बिना कुछ लिए लादे चले जायेंगे तुम बस लुढ़िया ढूलाओ । विपक्ष में जिसे देखो वही इंकार करता दिखता है कि वह प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं है। पर सच तो यह है कि कोई भी ऐसा नेता नहीं होगा जो अपने दिल में प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश न रखता हो। विपक्षी (और सभी) नेताओं की यही सबसे बड़ी कमजोरी है कि उनके दिल में कुछ और होता है और जुबां पर कुछ और। तुम सारे यूट्यूब चैनल और फेसबुक में मन के लड्डू खाते रहो। इसके लिए कुछ खर्च नहीं करना पड़ता। असली लड्डू का आनंद तो हम जैसे पत्रकार ही लेते है ।

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