
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा (जी.आज़ाद)
बारां (राजस्थान)
मेरी तरहां उनको भी————— ?
———————————————————–
मेरी तरहां उनको भी,
नहीं है विश्राम,
कि वो सोचे जरा,
लेकिन मुझको विश्वास है,
कि वो जरूर सोचेंगे,
थोड़ा अवकाश पाकर।
जैसे कि मैं सोच रहा हूँ,
तलाश है उनको शान्ति की,
इसलिए वो दौड़ रहे हैं,
हर राह पर शांति के लिए,
क्योंकि उनका अनुमान है कि,
स्वर्ग वहाँ है, शान्ति वहाँ है।
लेकिन उन्होंने,
देखा नहीं है कभी,
स्वयं को और उनको,
जो छटपटा रहे हैं,
इस संघर्ष में,
जिनको नहीं है ख्याल,
दूसरों की जिंदगी का।
उनके कदमों तले,
कुचली जा रही है कुछ जाने,
शांति के लिए दौड़ में,
और मिलाये जा रही हैं,
मिट्टी में कुछ जिंदगियां,
उनके शान्ति के संघर्ष में,
क्योंकि उनको नहीं है फुरसत,
मेरी तरहां शान्ति की तलाश में।