
काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र, वाराणसी।
सूरज की किरण
सूरज की है किरण निराली।
आशाओं की है प्रिय प्याली।।
बहुत मनोहर मुस्कानें हैं।
गर्मजोश अनुपम गानें हैं।।
ठंडक में अति आनंदक है।
चंदा को लाती बेशक है।।
यह प्रतीक है शुभ्रा ज्ञान का।
विषय भव्य है नित्य ध्यान का।।
जब पत्तों पर यह पड़ती है।
अतिशय मनमोहक लगती है।।
पड़ कर जल पर करे सुशोभित।
किरणों पर सारा जग मोहित।।
किरणों में आशा की रेखा।
किरणें रखतीं सबकी लेखा।।
सदा चमकती किरणें चलतीं।
उम्मीदों को जीवन कहतीं।।