
डॉ0 हरि नाथ मिश्र, अयोध्या, (उ0प्र0)
मधुमय जीवन
मधुर चिंतन-मधुर लेखन-मधुर वाणी हमारी है,
मधुरता से अगर जी लो मधुर दुनिया तुम्हारी है।
नहीं शिकवा किसी से हो,नहीं नफ़रत ज़माने से,
फ़साना गर मधुर तेरा,मधुरिमा भी तुम्हारी है।।
मधुर चिंतन-मधुर लेखन….
बड़ा कोई नहीं होता,कभी भी कद व काठी से,
मधुर व्यवहार से मित्रों,वो होता सब पे भारी है।
मधुर ममता-मधुर माता मधुर होती मोहब्ब्त,है
जहाँ में बस इसी कारण,मधुर ममता ही न्यारी है।।
मधुर चिंतन-मधुर लेखन….
मधुर हो चाल भी जिसकी,चलन भी हो मधुर जिसका,
समझ लो बस चलन ऐसी ही सबको प्राण-प्यारी है।
मधुर रातें-मधुर बातें-मधुर जीवन-मधुर बंधन।
मधुर जीवन जो जीता है,वही मानव सुखारी है।।
मधुर चिंतन-मधुर लेखन….