
संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर, (मध्यप्रदेश)
जिंदगी में गुजर बसर…!
आसान भी नहीं है जिंदगी में गुजर बसर,
पापी पेट के लिए काम कर जाओं पसर।
हर वह जतन करना है जिसका हो असर,
शिकायतों से घर नहीं चलता मिलें नज़र।
रोज़गार के तलाश में भटकते ढोते कहर,
घर परिवार के चूल्हे की चिंता पिते जहर।
आसान भी नहीं है जिंदगी में गुजर बसर,
पापी पेट के लिए काम कर जाओं पसर।
थाली में रोटी नसीबवालों को ही मिलती,
हाँ, अग्नि प्रज्वलित हो खुशियाँ खिलती।
आओँ करें इबादत भूखा नहीं कोई सोए,
लंबी हैं जिंदगी सुख-चैन के पल न खोए।