
डाॅ. राघवेन्द्र कुमार दुबे बिलासपुर, छत्तीसगढ़।
अंतर्मन में संचित स्मृतियों की अभिव्यक्ति है : “अंतर्मन” में।
जीवन में एक पड़ाव ऐसा आता है जब हम सोचने पर विवश हो जाते हैं कि अब तक के जीवन में क्या खोया क्या पाया? जीवन की राह आसान रहती हैं तो जीवन के पल ऐसी तेजी से निकल जाते हैं कि कितने दिन महीने साल बीत गए, पता नहीं लगता और जब राह कठिन होने लगती हैं तो जीना मुश्किल लगने लगता है। फिर जीवन में ऐसे भी पल आते हैं, ऐसे लोग आते हैं, जिनकी स्मृतियाँ अंतर्मन में संचित होती जाती हैं ।और जब हम उन स्मृतियों के पन्ने पलटने लगते हैं तो स्वयमेव कभी हंसी आती है तो कभी आँसू बरस पड़ते हैं। स्मृतियों को संजोये रखना और भूल जाने का अनोखा वरदान ईश्वर ने मानव जीवन को दिया है। वरदान इसलिए कि ये दोनों जरूरी हैं जीवन जीने के लिए। ये यादें जीवन की धरोहर भी होती हैं जो जिजीविषा जगाती हैं, जीने का मार्ग प्रशस्त करती हैं तो ज्ञान भी बढ़ाती हैं। ये सच है कि वरिष्ठ जनों के पास अनुभव और स्मृतियों का खजाना होता है जिसे वह औरों में बांटना चाहता है, मौखिक रूप से सुनाकर या साहित्य के माध्यम से अभिव्यक्त करना चाहता है और यही सुन्दर कार्य बिलासपुर को अपनी सतत् साहित्य सृजन से हमेशा गौरवान्वित करने वाली सुप्रसिद्ध कवयित्री, गायिका,कुशल मंच संचालक और कुशल शिक्षिका, पद्म श्री पंडित मुकुटधर पाण्डेय स्मृति राज्य शिक्षक सम्मान से सम्मानित श्रीमती रश्मि रामेश्वर गुप्ता जी हैं, जिन्होंने अंतर्मन में संचित अपने जीवन के सुन्दर पलों को साहित्यिक अभियक्ति देते हुए अनूठी कृति “अंतर्मन” का सृजन किया है । इससे पूर्व इनकी प्रकाशित साहित्यिक कृतियां —” सियान मन के सीख,”भाग 1 व 2 ,काव्य संग्रह “एक दीप जला देना, उपन्यास “माँ “ ,ने बहुत प्रसिद्धि अर्जित की है ।इन सभी कृतियों के पश्चात पांचवी कृति “ अंतर्मन “ का प्रकाशन किया गया है । इस कृति में उन्होंने अपनी अमूल्य संचित स्मृतियों को 69 भागों में प्रस्तुत किया है ।
इस कृति के बारे में श्रीमती रश्मि रामेश्वर गुप्ता ने इस कृति में अभिव्यक्त किया है कि-“वैसे देखा जाए तो मनुष्य का संपूर्ण जीवन यादों के सिवा और क्या है ? हम जब से पैदा होते हैं तब से लेकर जब तक जीवन जीते हैं तब तक का हर एक पल सिर्फ यादें बनकर रह जाती हैं। कभी-कभी तो अपने पूर्व जन्म की यादें भी लोगों की स्मृतियों में संचित रहती हैं। ऐसा माना जाता है यादें रास्ता दिखाती भी हैं और यादें रास्ता भटकाती भी हैं, पर वह यादें अच्छी हैं जो लोगों का जीवन बनाती हैं। हम हमेशा अपने अतीत से कुछ न कुछ सीखते हैं और जब हम अपने से छोटों को कोई ज्ञान देते हैं तो अपने अनुभव के आधार पर ही देते हैं। अनुभव भी क्या हैं ? यादें ही तो हैं। लोग कहते हैं कि इस दुनिया में कोई अजर अमर नहीं है लोग चले जाते हैं परंतु उनकी यादें शेष रह जाती हैं हमें कोई कब तक याद करेगा ? यह हमारे अच्छे और बुरे कर्मों पर आधारित होता है। “आगे उन्होंने लिखा है कि “मेरी यादों के पिटारे में जो अच्छी बातें रही मैं उन सभी बातों को लेकर आपके पास आई हूँ, एक किताब “अंतर्मन “स्मृति की लड़ियां लेकर। इस किताब में मेरे जीवन की कुछ स्वर्णिम यादें हैं, अंतर्मन की कुछ बातें हैं। कहते हैं कि हर पल एक इतिहास होता है। सभी पलों को मैंने संजीदगी से जिया है और इन स्वर्णिम यादों को मैं फेसबुक में भी शेयर करती रही हूं, जिसे लोगों का अपार स्नेह मिला। इन यादों के पलों को सदा के लिए संजोने की उम्मीद लेकर मैं इसे किताब का रूप देना मुनासिब समझा”।
इस तरह इस कृति अंतर्मन में सुप्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती रश्मि रामेश्वर गुप्ता ने अपने जीवन के संचित पलों की स्मृतियों को एक मणिमाला के रूप में पिरो कर प्रस्तुत किया है।
इस अनुपम और अनूठी कृति “अंतर्मन” के प्रकाशन के लिए मैं उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उनके स्वस्थ सुखी एवं उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ ।