शायद वह तुम हो, जिससे….

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गुरुदीन वर्मा  (जी.आजाद)

शिक्षक एवं साहित्यकार

बारां(राजस्थान)

 

शायद वह तुम हो, जिससे————-

 

शायद वह तुम हो, जिससे हमको है इतना प्यार।

जिसका लबों पर नाम आता है, बार बार।।

शायद वह तुम हो——————————–।।

 

तारीफ तुम्हारी यार, हम कैसी करें।

तुम्हें जो पसंद हो, बात वैसी करें।।

नहीं और किसी पे, हमको इतना एतबार।

मिलती है सिर्फ तुमसे, हमको खुशी यार।।

शायद वह तुम हो————————–।।

 

खूबसूरत हो तुम कितनी, दिलकश हो।

दिल की मधुशाला में, जैसे मैकश हो।।

मिलने को जिससे दिल है, इतना बेकरार।

करना है जिससे दिल को, प्यार इजहार।।

शायद वह तुम हो————————।।

 

क्या कभी तुम भी हमको, करते हो याद।

हमारे लिए खुशी की, रब से तुम फरियाद।।

हमने किया है किससे, दिल का इकरार।

कहते हैं जिसको, अपना हम संसार।।

शायद वह तुम हो————————-।।

 

 

 

 

 

 

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