
पंकज सीबी मिश्राः सम्पादक (नया अध्याय) राजनीतिक विश्लेषक, जौनपुर यूपी।
खुद के पत्थर खुद की कार, अब तमाशा है बेकार।
महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव में सोमवार की रात चुनाव प्रचार करते हुए शरद पवार के रांकपा नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर बड़ा हमला हुआ जिसमें वे ज़ख्मी हो गये, अब हमला किसने किया और क्यों किया यह पुलिसिया जाँच का विषय है पर जनता को यह उन फिल्मों के सीन याद दिला गया जहां चुनाव जीतने के लिए नेता खुद से खुद पर हमला करवा के चुनाव जीतने की चाल चलता है। फिलहाल देशमुख साहब की राजनीति वही जाने समझें पर जनता यह जानती है कि वो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के नेता हैं जिनके पुत्र सलिल काटोल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। नरखेड़ में प्रचार कर अनिल देशमुख नागपुर लौट रहे थे तभी उनकी कार पर पत्थरों से हमला हुआ। उनके सिर पर चोटें आईं। उन्हें पहले काटोल के शासकीय अस्पताल ले जाया गया तत्पश्चात उनकी चोटों को देखते हुए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 4 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआरआई दर्ज की गयी है। बुधवार को प्रदेश की सभी 288 सीटों के लिये वोटिंग हुआ। अब कांग्रेस शिवसेना और सपा यह चुनाव किस माहौल में सम्पन्न करा रहा इसका अंदाजा तो लग ही गया होगा, यह भी साफ है कि महाराष्ट्र की सत्ता किसी भी परिस्थिति में हाथ में लेने के लिए कांग्रेस और शिवसेना आमादा है। यहां भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) नेशनल डेमोक्रेटिक एलांयस (एनडीए) के तहत मैदान में हैं। उसके खिलाफ महाविकास आघाड़ी के नाम से कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना एवं एनसीपी का शरद पवार धड़ा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के भीतर चल रहे मनमुटाव और मतभेदों के चलते वह कमजोर पिच पर खड़ी है तो दूसरी ओर भाजपा की एनडीए तमाम विपरीत परिस्थितियों तथा दुश्वारियों के बीच भी एकजुट है जिसके कारण सत्ता हाथ में होने के बाद भी कोई कमी नहीं छोड़ रही। उद्धव एंड कंपनी को चुनाव जीतने के लिये तमाम हथकण्डे अपनाने पड़ रहे हैं। अनिल देशमुख पर हुआ हमला और हमले के आरोपियों का अभी खुलासा नहीं हुआ है लेकिन देशमुख एवं उनकी पार्टी पर जनता को इतना विश्वास है कि पत्थर उन्ही के प्रायोजित लोगों ने ही चलाये होंगे। महाराष्ट्र में विपक्ष द्वारा अपनाये जा रहे हथकण्डों से यह आशंका भी गहरानी स्वाभाविक है कि यदि महाविकास आघाडी को बहुमत नहीं मिलता और एनडीए अपनी सरकार बनाने में विलम्ब करती है तो तमाम प्रपंचो द्वारा विपक्ष गुंडों के जरिये यहां वैसा ही खेला कर सकती है जिस तरह तत्कालीन पश्चिम बंगाल में खेलती आइ है। आपको बता दें की महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार चल रही थी । इसके लिये भाजपा ने शिवसेना तथा एनसीपी को तोड़ा था। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि 26 नवम्बर तक प्रदेश की नयी सरकार का गठन हो जाना चाहिये अन्यथा वहां राष्ट्रपति शासन लगाने में केन्द्र सरकार देर नहीं करेगी।
यह भाजपा की राजनीतिक मोडस ऑपरेंडी रहेगी कि पहले सत्ता को केन्द्र अपने हाथों में ले तत्पश्चात वहां ऑपरेशन लोटस के जरिये खुद की सरकार बना ली जाये। बुधवार को जेल जा चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी ने शरद पवार की पुत्री व सांसद सुप्रिया सुले और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले पर क्रिप्टोकरेंसी में 235 करोड़ रुपये मूल्य के बिटकाॅइन की धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। माना जा रहा है कि इसके पीछे खुद के ही नाराज पार्टी नेताओं का हाथ है। पाटिल के अनुसार इस राशि का उपयोग इस चुनाव में किया गया है। हालांकि इसका खंडन खुद शरद पवार ने यह कहकर किया है कि सत्ता के लिये भाजपा किसी भी हद तक गिर सकती है। अब सच्चाई तो जांच के बाद सामने आएगी, लेकिन चुनाव से पहले इस तरह के आरोप और खुलासे भाजपा की छटपटाहट को दर्शा रहे हैं।