
संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर, (मध्यप्रदेश)
डिजिटल क्रांति फिर भी मन में दूरी…!
रील्स की ताकत और रियल की कमज़ोरी,
डिजिटल क्रांति हुई हैं फिर भी मन में दूरी।
स्मार्टफोन की स्क्रीन पे रील्स ने ली जगह,
सभी चलें टेक्नोलॉजी के संग नहीं बेवजह।
कुछ सेकंड के वीडियो में हल्का हैं मजाक,
थोड़ा-सा गुस्सा व ढेर सारा ड्रामा हैं स्टॉक।
रील्स की ताकत और रियल की कमज़ोरी,
डिजिटल क्रांति हुई हैं फिर भी मन में दूरी।
हरेक को अपनी बात कहने का दिया मंच,
लाखों लोगों तक पहुँच रहें सब मारते पंच।
इसी मंच ने विडंबना को भी दिया हैं जन्म,
ट्रेंड करती क्रांति, रीयल में हो जाता इल्म।
रील्स की ताकत और रियल की कमज़ोरी,
डिजिटल क्रांति हुई हैं फिर भी मन में दूरी।
शिक्षा, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, अन्याय,
गंभीर मुद्दों को मज़ेदार बने सब देखें जाय।
वो भावुक पार्श्व संगीत के साथ प्रस्तुत करें,
वायरल होते ही लोग तारीफ कर मजा करें।