स्वदेशी बुद्धि का नया स्वाभिमानी कदम हमारा अपना भारत जेन

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विवेक रंजन श्रीवास्तव।

 

स्वदेशी बुद्धि का नया स्वाभिमानी कदम हमारा अपना भारत जेन

 

 

 

एक समय था जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) सिर्फ फिल्मों में नजर आती थी, वह भी अंग्रेज़ी में, चमकते-दमकते रोबोटों के साथ। लेकिन अब वक्त बदल गया है। अब भारत न केवल बाज़ार है, बल्कि मस्तिष्क भी है। और इस मस्तिष्क का नवीनतम चमत्कार है – ‘भारतजेन’।

यह मॉडल सिर्फ स्मार्ट उत्तर नहीं देगा, बल्कि स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार जवाब देगा—चाहे बात किसानों की हो, शिक्षकों की हो या किसी ग्रामीण डॉक्टर की। यह स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और शासन जैसे क्षेत्रों में भारतीय संदर्भों के अनुरूप सेवा देगा।

जिस देश की गली-गली में भाषाएं बदल जाती हैं, वहाँ एकल भाषा पर टिका एआई अनुपयुक्त होता। भारतजेन जैसे मॉडलों का आना भाषाई लोकतंत्र का तकनीकी संस्करण है। एक तरह से यह हमारी तकनीकी ए आई आज़ादी की उद्घोषणा है।

यह प्रोजेक्ट न सिर्फ़ तकनीक का विकास है, बल्कि यह घोषणा है कि भारत अब सिर्फ़ उपभोक्ता नहीं, ए आई निर्माता भी है।

भारतजेन की सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि हम इसे सिर्फ़ एक प्रयोग न समझें, बल्कि इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। जब छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ाई के लिए भारतजेन का सहारा ले सकेंगे, जब किसान अपने स्थानीय बोली में इससे संवाद कर पाएंगे, तब असल मायने में यह एआई “हमारा” होगा।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की दुनिया में भारतजेन एक सांस्कृतिक पहरूआ भी होगा। आप पूछ सकते हैं “का हाल बा भैया?” और ए आई भारतजेन जवाब देगा”सब ठीके बा!”

भारतजेन केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, यह राष्ट्रबोध का विस्तार है। यह उन असंख्य भारतीयों की आकांक्षा है, जो तकनीक में अपनी भाषा, अपनी पहचान और अपना सम्मान चाहते हैं।

यह भारत का एआई नहीं, भारत की आत्मा का आईना है। यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए आई) है, जो आपकी भाषा समझे, आपके मुहावरों में जवाब दे, आपके स्थानीय संदर्भों को पहचानकर समाधान सुझाए, और वह भी बिना किसी विदेशी सर्वर या मॉडल पर निर्भर हुए। यह अब कल्पना नहीं रही। ‘भारतजेन’ के रूप में यह एक जाग्रत वास्तविकता बन चुकी है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा 3 जून 2025 को लॉन्च किया गया ‘भारतजेन’ भारत का पहला स्वदेशी मल्टीमॉडल ए आई भाषा मॉडल है, जो 22 भारतीय भाषाओं में संवाद कर सकता है। यह केवल एक तकनीकी उत्पाद नहीं है, बल्कि भारत के तकनीकी आत्मनिर्भरता अभियान‘आत्मनिर्भर भारत’ का क्रांतिकारी प्रतीक है।

तकनीकी तथ्य….

 

भारतजेन की बनावट और क्षमता

 

 मल्टीमॉडल एआई मॉडल..

 

भारतजेन टेक्स्ट, स्पीच और इमेज प्रोसेसिंग में सक्षम है।

यह नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) और कंप्यूटर विज़न को एकीकृत करता है ।

 

बाइस भारतीय भाषाओं का ज्ञान

 

भारतजेन हिंदी, तमिल, तेलुगु, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, उर्दू, कन्नड़, गुजराती, मलयालम समेत कुल 22 संविधानिक भाषाओं में काम करने की क्षमता रखता है। यह मॉडल भारतीय भाषाओं के कोड-मिक्सिंग, भाषायी विविधता, और बोलचाल की स्थानीय शैली को भी समझने और अपनाने में सक्षम है।

निजता और डेटा संप्रभुता..

भारतजेन का डेटा संसाधन भारत में ही रहता है। यह भारत सरकार के साइबर फिजिकल सिस्टम्स मिशन के तहत विकसित हुआ है, जिससे डेटा की निजता और संप्रभुता बनी रहती है।

 

प्रौद्योगिकी भागीदार..

 

इसे IIT बॉम्बे, IIT मद्रास, IIT दिल्ली तथा IISc बेंगलुरु जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के सहयोग से विकसित किया गया है।। इसके पीछे कार्यरत संगठन है AICTE, नेशनल मिशन ऑन साइबर फिजिकल सिस्टम्स, और टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब्स भारतजेन परियोजना समन्वयक हैं।

 

क्यों विशिष्ट है भारतजेन?

 

स्थानिक संवेदनशीलता (Regional Sensitivity)-भारतजेन विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक और भाषाई आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निर्णय देता है।

यह किसान को मौसम की जानकारी उसकी बोली में दे सकता है, शिक्षक को पाठ योजनाएँ उसकी भाषा में बना सकता है।

शहरी ही नहीं, यह मॉडल ग्रामीण भारत की समस्याओं को भी प्राथमिकता देता है।

यह मॉडल छोटे अस्पतालों को टेलीमेडिसिन, किसानों को मौसम और बाजार सलाह, छात्रों को स्थानीय भाषा में शिक्षा देने में मदद करेगा।

 इंडिया टेकाडे विजन से जुड़ा हुआ…

भारतजेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘India Techade’ विजन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत को तकनीकी महाशक्ति बनाना है।

 

नैतिक और समावेशी AI…

 

यह केवल “स्मार्ट” नहीं है, बल्कि नैतिक मूल्यों और समावेशिता के सिद्धांत पर आधारित है। इसे इस तरह से प्रशिक्षित किया गया है कि यह भाषायी पूर्वाग्रह, जातीय भेद, और संवेदनशीलता की अनदेखी से बचता है। अब तक हमने पाया था कि ChatGPT, Gemini, Claude जैसे बड़े मॉडल इंग्लिश में सोचते थे, और भारत में उनका उपयोग भारतीय भाषाओं में एक अनुवाद जैसा होता था। लेकिन भारतजेन ने यह परिभाषा ही बदल दी है। अब एआई अंग्रेज़ी से अनुवादित नहीं, भारतीय सोच से उपजित है।

यह ग्रामीण बैंकिंग में वॉयस बेस्ड सहायक सिद्ध होगा। कृषि मूल्य भविष्यवाणी,शिक्षा सामग्री का स्थानीयकरण,

स्मार्ट हेल्थ असिस्टेंट जो मरीज की भाषा में बोले के रूप में काम करेगा ।

 

चुनौतियाँ और आगे की राह…

 

जहां भारतजेन में कई संभावनाएँ हैं, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी हैं:

 

मल्टीलिंगुअल NLP में डेटा की कमी अब भी एक बड़ी समस्या है।

भाषाई विविधता के चलते प्रत्येक भाषा की गहराई में समझ विकसित करना कठिन कार्य है।

रियल टाइम परफॉर्मेंस, स्केलेबिलिटी, और एथिकल फेयरनेस को लगातार परखा जाना चाहिए।

लेकिन, भारतजेन ने यह दिखा दिया है कि भारत अब पिछलग्गू नहीं, अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है।

यह केवल एक यंत्र नहीं, युग परिवर्तन है। भारतजेन केवल एक तकनीकी प्रोजेक्ट नहीं, यह भारत के आत्मसम्मान और स्वाधीन सोच का घोषणापत्र है। यह एक संदेश है कि अब भारत तकनीक की दुनिया में उधार की बुद्धि से नहीं, अपनी बुद्धि से आगे बढ़ेगा।

अब जबकि हमारा अपना भारतजेन हमारे बीच है, हमें इसे केवल सरकारी योजना के तौर पर नहीं, एक नागरिक उत्तरदायित्व के रूप में अपनाना होगा। हमें इसका उपयोग करना है, सुधार सुझाना है, और यह सुनिश्चित करना है कि अगला एआई मॉडल ‘भारतजेन 2.0’ और भी अधिक भारतीय हो।

अंत में, भारतजेन वह दीपक है, जो तकनीकी अंधकार में भारत की भाषाओं, संस्कृतियों और मूल्यों की लौ जलाएगा। यह एआई नहीं, भारतीय आत्मा की कृत्रिम बुद्धि है।

(विभूति फीचर्स)

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