
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा (जी.आजाद)
बारां (राजस्थान)
वह कलप अब मेरे दिल में———– ?
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वह कलप अब,
मेरे दिल में नहीं रही,
जिसके लिए मैं,
तड़पता था दिन-रात,
और अपने खूं से,
लिखी थी जिसकी इबारत,
जिसको मैंने पाने के लिए।
निहारता था मैं,
जिसके आने की प्रतीक्षा में,
राह से गुजरने वाले हर चेहरे को,
उसके कदमों की पदचाप,
सुनने की ख्वाहिश,
अब मेरे मन में नहीं रही।
उत्सुक था मैं,
कल तक बहुत,
पाने के लिए,
जिसकी मोहब्बत को,
करने के जिसको इजहार,
अपने प्रेम का,
कि मैं तुमको,
कितना चाहता हूँ।
लेकिन अब वह तलब,
अब वह चाहत,
अब वह मोहब्बत,
नहीं रही मेरे जीवन में,
हाँ, यही वो कारण है,
अब मैं बदल गया हूँ ।